इंडिया गेट: देश का गौरव और ऐतिहासिक स्मारक
भारत की राजधानी दिल्ली में कई ऐतिहासिक स्मारक हैं, जो न केवल देश के इतिहास को दर्शाते हैं बल्कि राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक भी हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण स्मारकों में एक है इंडिया गेट, जिसे देश की शान और वीर सैनिकों के सम्मान का प्रतीक माना जाता है। क्या आप जानते हैं कि इंडिया गेट का निर्माण क्यों किया गया था? आइए इसके पीछे की कहानी और इससे जुड़े रोचक तथ्यों को विस्तार से जानते हैं।
इंडिया गेट: क्यों और कब हुआ निर्माण?
इंडिया गेट का निर्माण ब्रिटिश सरकार ने प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध (1919) में शहीद हुए 80,000 भारतीय सैनिकों की स्मृति में करवाया था।
- आधारशिला का अनावरण: 10 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट ने इसकी आधारशिला रखी।
- निर्माण अवधि: इसे बनाने में 10 साल लगे और 12 फरवरी 1931 को वायसराय लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया।
- डिजाइन और निर्माण: इसका डिज़ाइन एडविन लुटियन ने तैयार किया, जो उस समय के प्रसिद्ध वास्तुकार थे।
इंडिया गेट से जुड़ी अनसुनी बातें
- युद्ध स्मारक का स्वरूप:
- इंडिया गेट को पहले “अखिल भारतीय युद्ध स्मारक” कहा जाता था।
- यह उन सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी।
- रेलवे लाइन का इतिहास:
- जहां आज इंडिया गेट खड़ा है, वहां पहले आगरा-दिल्ली रेलवे लाइन गुजरती थी।
- 1924 में रेलवे लाइन को हटाकर यमुना नदी के पास शिफ्ट किया गया।
- डिजाइन और निर्माण सामग्री:
- इसका निर्माण मुख्य रूप से पीले और लाल पत्थरों से किया गया है।
- यह पत्थर राजस्थान के भरतपुर से मंगवाए गए थे।
- अमर जवान ज्योति का जुड़ाव:
- 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में वीरगति को प्राप्त सैनिकों की याद में अमर जवान ज्योति स्थापित की गई।
- इसका उद्घाटन 26 जनवरी 1976 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था।
- यह ज्योति दिन-रात जलती रहती है, जो वीरता और बलिदान का प्रतीक है।
- इंडिया गेट की ऊंचाई और संरचना:
- यह स्मारक 13,779 फीट ऊंचा है और इसे विश्व के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में गिना जाता है।
गणतंत्र दिवस और इंडिया गेट
इंडिया गेट हर साल गणतंत्र दिवस के मुख्य आकर्षणों में से एक है। यहां परेड का आयोजन किया जाता है, जिसमें तीनों सेनाओं के कमांडर अपने नवीनतम हथियार और तकनीक प्रस्तुत करते हैं। साथ ही, राज्यों की भव्य झांकियां देश की विविधता और संस्कृति को दर्शाती हैं।
इंडिया गेट: देश की शान का प्रतीक
इंडिया गेट न केवल एक ऐतिहासिक स्मारक है, बल्कि यह भारतीय सेना के बलिदान और देश की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक भी है। हर भारतीय को इस स्मारक पर जाकर अपने वीर जवानों के बलिदान को याद करना चाहिए।
निष्कर्ष
क्या आप दिल्ली घूमने की योजना बना रहे हैं? इंडिया गेट का दौरा करना न भूलें और इसकी भव्यता के साथ वीर जवानों के बलिदान को याद करें। अपने दोस्तों और परिवार के साथ इस लेख को साझा करें और भारत की शान को गर्व से महसूस करें।