प्रायिकता किसी घटना के घटित होने की संभावना का मापन है। यह 0 से 1 के बीच एक संख्या द्वारा व्यक्त की जाती है, जहां:
- 0 = असंभव घटना
- 1 = निश्चित घटना
- मूल अवधारणाएँ (Basic Concepts):
- समग्र घटनाएँ (Exhaustive Events)
- परस्पर अपवर्जी घटनाएँ (Mutually Exclusive Events)
- समग्र घटनाओं और परस्पर अपवर्जी घटनाओं का संयोजन (Combination of Exhaustive and Mutually Exclusive Events)
- गुणन नियम (Multiplication Rule):
- उदाहरण (Examples):
- प्रायिकता के अनुप्रयोग (Applications of Probability)
- विज्ञान और इंजीनियरिंग में उपयोग (Use in Science and Engineering):
- मॉक टेस्ट (Mock Test)
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मूल अवधारणाएँ (Basic Concepts):
- प्रयोग (Experiment): कोई भी क्रिया जिसका परिणाम अनिश्चित हो। उदाहरण: सिक्का उछालना, पासा फेंकना
- प्रतिदर्श समष्टि (Sample Space): किसी प्रयोग के सभी संभावित परिणामों का समूह, इसे ‘S’ द्वारा दर्शाया जाता है। उदाहरण: सिक्के उछालने पर, S = {चित, पट}
- घटना (Event): प्रतिदर्श समष्टि का एक उपसमुच्चय, इसे ‘E’ द्वारा दर्शाया जाता है। उदाहरण: पासा फेंकने पर सम संख्या आना, E = {2, 4, 6}
- प्राथमिक परिणाम (Elementary Outcome): प्रतिदर्श समष्टि का एक अकेला तत्व। उदाहरण: पासा फेंकने पर ‘3’ आना
- निश्चित घटना (Sure Event): वह घटना जो हमेशा घटित होती है (पूरा प्रतिदर्श समष्टि)। P(S) = 1
- असंभव घटना (Impossible Event): वह घटना जो कभी भी घटित नहीं होती है (खाली समुच्चय ∅)। P(∅) = 0
प्रायिकता की गणना (Calculating Probability):
किसी घटना E की प्रायिकता (P(E)) निम्नलिखित सूत्र से निकाली जाती है:

प्रायिकता के गुण (Properties of Probability):
- प्रत्येक घटना E के लिए: 0 ≤ P(E) ≤ 1
- निश्चित घटना के लिए: P(S) = 1
- असंभव घटना के लिए: P(∅) = 0
- यदि E₁, E₂, …, Eₙ परस्पर अपवर्जी घटनाएँ हैं, तो: P(E₁ ∪ E₂ ∪ … ∪ Eₙ) = P(E₁) + P(E₂) + … + P(Eₙ)
समग्र घटनाएँ (Exhaustive Events)
दो या अधिक घटनाओं का समूह समग्र कहलाता है यदि उनका संघ संपूर्ण प्रतिदर्श समष्टि को कवर करता है।
परिभाषा (Definition):
घटनाएँ E₁, E₂, …, Eₙ समग्र कहलाती हैं यदि:

विशेषताएँ (Properties):
- समग्र घटनाओं की प्रायिकताओं का योग हमेशा 1 होता है: $$P(E₁) + P(E₂) + … + P(E_n) = 1
- समग्र घटनाओं में से कम से कम एक घटना हमेशा घटित होती है।
उदाहरण (Examples):
उदाहरण 1: एक पासा फेंकने पर:
- E₁ = सम संख्या आना = {2, 4, 6}
- E₂ = विषम संख्या आना = {1, 3, 5}
यहां E₁ और E₂ समग्र घटनाएँ हैं क्योंकि E₁ ∪ E₂ = {1, 2, 3, 4, 5, 6} = S
उदाहरण 2: सिक्का उछालने पर:
- F₁ = चित आना
- F₂ = पट आना
- F₁ ∪ F₂ = {चित, पट} = S
उदाहरण 3: एक परीक्षा में विद्यार्थी का परिणाम:
- G₁ = उत्तीर्ण होना
- G₂ = अनुत्तीर्ण होना
- G₁ ∪ G₂ = {उत्तीर्ण, अनुत्तीर्ण} = S
परस्पर अपवर्जी घटनाएँ (Mutually Exclusive Events)
दो या अधिक घटनाएँ परस्पर अपवर्जी कहलाती हैं यदि वे एक साथ घटित नहीं हो सकती हैं।
परिभाषा (Definition):
घटनाएँ A और B परस्पर अपवर्जी हैं यदि:
A∩B=∅
(जहां ∅ खाली समुच्चय है)
विशेषताएँ (Properties):
- यदि A और B परस्पर अपवर्जी हैं, तो A और B एक साथ घटित नहीं हो सकते।
- यदि A और B परस्पर अपवर्जी हैं, तो P(A ∩ B) = 0
- यदि A और B परस्पर अपवर्जी हैं, तो P(A ∪ B) = P(A) + P(B)
- सभी प्राथमिक परिणाम परस्पर अपवर्जी होते हैं।
उदाहरण (Examples):
उदाहरण 1: एक पासा फेंकने पर:
- A = 2 आना = {2}
- B = 3 आना = {3}
यहां A और B परस्पर अपवर्जी हैं क्योंकि A ∩ B = ∅ (एक ही बार में पासे पर 2 और 3 दोनों नहीं आ सकते)।
उदाहरण 2: ताश के पत्तों से एक पत्ता निकालने पर:
- C = इक्का निकालना
- D = राजा निकालना
यहां C और D परस्पर अपवर्जी हैं क्योंकि एक ही पत्ता इक्का और राजा दोनों नहीं हो सकता।
उदाहरण 3: एक विद्यार्थी का परीक्षा परिणाम:
- E = प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होना
- F = द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण होना
यहां E और F परस्पर अपवर्जी हैं क्योंकि एक विद्यार्थी एक ही परीक्षा में प्रथम और द्वितीय श्रेणी दोनों में उत्तीर्ण नहीं हो सकता।
परस्पर अपवर्जी बनाम गैर-परस्पर अपवर्जी घटनाएँ:
एक उदाहरण जहां घटनाएँ परस्पर अपवर्जी नहीं हैं:
पासा फेंकने पर:
- C = सम संख्या आना = {2, 4, 6}
- D = 6 से कम संख्या आना = {1, 2, 3, 4, 5}
यहां C ∩ D = {2, 4} ≠ ∅, अतः C और D परस्पर अपवर्जी नहीं हैं।