शराब छोड़ने पर शायरी

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शराब एक आदत है जो शायद सबसे कठिन छुटकारा पाना होता है। इस आदत से निपटने के लिए कुछ लोग अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां करते हैं, और इसलिए आज हम बात करेंगे “शराब छोड़ने पर शायरी” के बारे में। इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम आपको शराब से निपटने के लिए कुछ शायरियों के बारे में बताएंगे, जो आपकी मदद करेंगे शराब की इस खतरनाक आदत से निपटने में।

मनुष्य के लिए शराब का नशा एक बहुत बड़ी समस्या है, जिससे निपटने के लिए कई लोगों को शायरी की मदद लेनी पड़ती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम शराब छोड़ने के लिए शायरियों के बारे में चर्चा करेंगे।

शराब छोड़ने पर शायरी – Shayari on quitting alcohol

शराब का त्याग कर,
सफलता की ऊँचाइयों को छू जाओ,
जीवन के नए मोड़ पर,
अपने असली रंग में खिल जाओ।

शराब की लत से छुटकारा पाकर,
आगे की यात्रा को जारी रखो,
जीवन का सफर थोड़ा मुश्किल है,
पर हार न मानो, खुद को होशियार रखो।

त्याग करो शराब की इस आदत को,
देखो जीवन की खुशियों को,
प्यार, खुशी, सुख, शांति और सम्मान,
मिलेंगे तुम्हें इस संघर्ष के बाद।

शराब का त्याग करो और बनो महान,
जीतो खुद को और दुनिया को समझाओ,
जीवन का सफर तो हमेशा जारी रहेगा,
पर खुद को संभालो और आगे बढ़ जाओ।

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शराब की लत से छुटकारा पाकर,
जीवन को नई राह पर लाकर,
हर दिन का नया सफर शुरू करो,
जीत का महौल बनाकर आगे बढ़ो।

शराब से होश उड़ जाते हैं,
फिर इंसान अपने आप से रूठ जाते हैं,
त्याग करो उस नशे की इस आदत को,
देखो कितना आसान होता है सफलता का मोड़।

जीवन की सफलता और खुशियों की तलाश में,
शराब की आदतों से बहुत सारी मुश्किलें हैं,
तो इससे मुक्त हो जाओ और दुनिया को दिखाओ,
अपने दम पर जीत की ऊँचाइयों को छू जाओ।

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शराब से बचने के लिए नहीं चाहिए सारी ताकत,
होश में हो और सही दिशा में चलो अपनी जिंदगी की राहत,
ये नशे की लत नहीं, बल्कि बुरी आदत है,
त्याग दो इसे, जीवन का हर पल खुशियों से हो भरा।

शराब का जमाना अब गुजर गया है,
इस नशे से आपका स्वस्थ बुरा हो जाता है,
जीवन का सत्य समझो और इस आदत से त्याग करो,
अपने आप को खुशहाल बनाओ, जीवन को जीतो।

नशे की लत से मुक्त हो कर,
हर पल जिंदगी का मजा उठाओ जी भर के,
नए सपनों की ओर बढ़ो तय करो अपनी दिशा,
हमेशा आगे बढ़ो, नशे को भूल कर।

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शराब छोड़ने पर motivation शायरी

शराब की तलब छोड़, अपने जीवन का असली मजा पाओ,
नशे के धुंए से अपने दिमाग को बचाओ।
होश में रहकर अपनी जिंदगी को समझो,
खुशहाली की दिशा में आगे बढ़ो।

शराब के नशे में खोकर न जाओ,
अपने दिल की सुनो और सही राह चुनो।
शराब छोड़ना है तो हमेशा तैयार रहो,
हर लम्हे में अपने को समझो।

जब शराब का नशा छूट जाएगा,
तब आपको जिंदगी का सही मजा आएगा।
इस तरह से जीवन को जीना है,
शराब छोड़ना ही राहत है।

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शराब का नशा छोड़ने का फैसला,
जीवन का सबसे सुखद अनुभव होगा।
थोड़ा तुम खुद को समझाओ,
और शराब का नशा अपने आप से हटाओ।

तुम्हारे अंदर की शक्ति से जुड़े,
और नशे से दूर चले जाओ।
जब आप शराब को छोड़ेंगे,
तब आप अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कदम उठाओगे।

नशे का दौर अब खत्म होगा,
और जीवन में नई खुशियों की शुरुआत होगी।
शराब छोड़ने की ये खुशखबरी,
जीवन को सफल बनाएगी और समृद्धि देगी।

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शराब छोड़ना है तो ज़िन्दगी जीतनी होगी,
जीते जी खुश रहोगे और दूसरों को भी जीने दोगे।
शराब छोड़ो नशे से दूर रहो,
अपने सपनों को पूरा करने का सपना पाओ।

हर कदम पे हौसले को मजबूत करो,
शराब का नशा जीतो और जीत को हमेशा जियो।
तुम्हारी मेहनत तुम्हे कभी नहीं धोखा देगी,
और शराब छोड़ने का फैसला तुम्हारा जीवन बदल देगा।

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शराब छोड़ो और जीवन को नई दिशा दो,
नशे को दूर करो और अपने जीवन को उजागर करो।
अपने हौसले से जीतो शराब का नशा,
और नयी खुशियों से भरो अपना जीवन का हर पल।

शराब छोड़ने पर होगा असली जीत,
नशे से दूर रहकर जीवन में पाओ नई ऊंचाईयों की और नयी सफलताओं की चोटी।
तुम भी शराब का नशा छोड़ो और जीतो नयी ज़िन्दगी का खुशहाल हर पल।

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शराब छोड़ने से मिलती है सच्ची तकदीर,
नशे का साया छोड़ो और नई ज़िन्दगी की ओर बढ़ो।
तुम सफलता के मार्ग पर अग्रसर होगे,
और शराब का नशा छोड़ने की ये बात तुम्हारी ताकत बनेगी।

हर पल की नयी चुनौतियों से बचकर,
तुम शराब के नशे से बचो और अपने सपनों की तरफ बढ़ो।
तुम्हारा सफर होगा सफलता का हमसफ़र,
और नशे से दूर रहकर तुम भी अपनी ज़िन्दगी का सौदा करो।

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शराब के नशे से हमेशा के लिए मुक्त हो,
अपनी ज़िन्दगी के नए सफ़र में अग्रसर हो।
तुम्हारी नयी ज़िन्दगी का हर पल हो खुशियों से भरा,
नशे से दूर रहना हो तुम्हारी सफलता का एक रहस्य है।

जीवन के बाहरी मुद्दों से परेशान होकर,
शराब के नशे में तुम खुद को ना खो दो।
तुम अपने सपनों के लिए लड़ो, और शराब का नशा छोड़ो,
क्योंकि ज़िन्दगी का असली मज़ा तो नशे से नहीं बल्कि सफलता से है।

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जिंदगी का नशा था, शराब में खो गये,
मायूसी और रुतबा हर रोज़ बढ़ता गये।
दिल की आहटें दबी, सपनों के सपारे टूटे,
मैंने छोड़ दी शराब को, आज नया रास्ता चुन लिये।
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आंसू रोक पाना मुश्किल था इसे छोड़ते हुए,
पर आज मुझे अभिमान है, अपनी मजबूरियों पे रुलते हुए।
शराब ने छीना था सपनों को मेरे,
पर आज मैंने खुद को पाया है, विश्वास दिलाते हुए।
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नशा छोड़ने का कितना आसान लगता था,
पर सत्य है, वो एक जुए की तरह अटक जाता था।
मदिरा के नशे में खो जाना मुश्किल था,
पर आज मैंने खुद को पाने के लिए अच्छा किया।
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दिन बिताए अनजाने तनहा राहों में,
खोए अपनी पहचान अंधेरे कोहरों में।
आज उठा हूँ मैं नए उजाले के साथ,
नशे का नगर छोड़कर खुद को पाया है साथ।
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शराब की लत को छोड़कर, आज मैं जी रहा हूँ,
खुद को खोजकर, नए सपनों में जी रहा हूँ।
ये जीवन एक नया दौर लेता है साथ,
जहाँ नशा नहीं है, वहाँ सच्ची खुशियाँ मिलती हैं साथ।
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नशे की आदत से अलविदा कह रहा हूँ,
आज नयी राह पर बढ़ने को तैयार हूँ।
दरिया-ए-मय को पीकर थक चुका हूँ मैं,
आज स्वतंत्रता के स्वप्न अधूरे हो चुका हूँ।
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शराब की चाहत में खो जाना हमेशा,
उजाले की रोशनी से दूर जाना हमेशा।
पर आज बदल गया हूँ, नशे का गुलाम नहीं,
स्वतंत्र आत्मा के बंधन से मुक्त हो चुका हूँ।
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आदतें छोड़ना मुश्किल होता है यकीनन,
पर जब खुद को पाते हैं, तब जीने में मज़ा होता है।
शराब की गहराई में डूबा हुआ था जीवन,
पर आज ऊंचाइयों को छूने को तैयार हूँ।
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नशा छोड़ कर मैं खुद को पाया है स्वतंत्र,
अपने अंदर की ताकतों को पहचाना है।
आज उड़ने को हौसला मिल रहा है,
ज़िंदगी के मौसम में खुद को भरपूर पाया है।
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नशे का त्याग करना वास्तव में शानदार है,
स्वतंत्रता की अनुभूति को अद्वितीय बनाता है।
दरिया-ए-मय की तरंगों को पीकर नहीं,
आज जीने का आनंद सच्चाई से पाता हूँ।
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नशे की दुनिया में बसे थे हम एक समय,
पर आज नयी परिभाषा में बदल गया है जीने का रास्ता।
शराब की चाहत से उबरकर,
मैं खुद को पाया हूँ, एक नयी अवस्था में समाया हूँ।
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नशे के प्यालों से खुद को छुड़ाते हुए,
मैं खुद को जीने की राह पर चलता जा रहा हूँ।
आज सुबह की चाशनी के साथ,
मैं अपने सपनों की ऊचाईयों को छू रहा हूँ।
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नशा छोड़ कर जीने की राह में,
मैं खुद को खोजता जा रहा हूँ।
आंधी और तूफ़ानों से लड़ते हुए,
मैं अपनी ताकतों को पहचानता जा रहा हूँ।
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नशे की रातों को छोड़कर,
स्वतंत्रता के दिनों में जीने का मज़ा आ रहा है।
दरिया-ए-मय की लहरों को छोड़कर,
खुद को उचाइयों में खोजता जा रहा हूँ।
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मत पूछ उसके मैखाने का पता ऐ साकी,
उसके शहर का तो पानी भी नशा देता है.
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कभी उलझ पड़े खुदा से कभी साक़ी से हंगामा,
ना नमाज अदा हो सकी ना शराब पी सके।
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हर बार सोचता हूँ
छोड़ दूंगा मैं पीना अब से,
मगर तेरी आड़ आती है
और हम मयखाने को चल पड़ते हैं।
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मिलावट है तेरे इश्क में
इत्र और शराब की,
कभी हम महक जाते हैं
कभी हम बहक जाते हैं
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नतीजा बेवजह महफिल से उठवाने का क्या होगा,
न होंगे हम तो साकी तेरे मैखाने का क्या होगा।
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तेरी आँखों के ये जो प्याले हैं,
मेरी अंधेरी रातों के उजाले हैं,
पीता हूँ जाम पर जाम तेरे नाम का,
हम तो शराबी बे-शराब वाले हैं.
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आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए
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ग़ालिब छुटी शराब पर अब भी कभी कभी
पीता हूँ रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब में
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ये ना पूछ मैं शराबी क्यूँ हुआ, बस यूँ समझ ले,
गमों के बोझ से, नशे की बोतल सस्ती लगी।
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उन्हीं के हिस्से में आती है ये प्यास अक्सर,
जो दूसरों को पिलाकर शराब पीते हैं.
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तुम्हारी आँखों की तौहीन है, ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है.
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ग़म इस कदर बढ़े कि घबरा के पी गया,
इस दिल की बेबसी पे तरस खा के पी गया,
ठुकरा रहा था मुझे बड़ी देर से ज़माना,
मैं आज सब जहान को ठुकरा के पी गया।
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मुझ तक कब उनकी बज़्म में आता था दौर-ए-जाम
साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में.
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तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है,
खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है,
फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ टूटे दिल वालों,
यहाँ दर्द-ए-दिल की दवा पिलाई जाती है।
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साबित हुआ है गर्दन-ए-मीना पे ख़ून-ए-ख़ल्क़,
लरज़े है मौज-ए-मय तेरी रफ़्तार देख कर !
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हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया.
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कहीं सागर लबालब हैं कहीं खाली पियाले हैं,
यह कैसा दौर है साकी यह क्या तकसीम है साकी।
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शिकन न डाल माथे पर शराब देते हुए,
ये मुस्कुराती हुई चीज़ मुस्कुरा के पिला।
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उनकी आंखें यह कहती रहती हैं
लोग नाहक शराब पीते हैं.
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मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है,
करता भी क्या और तुम पर जो आ रही थी बात।
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तुम्हें जो सोचें तो होता है कैफ़-सा तारी,
तुम्हारा ज़िक्र भी जामे-शराब जैसा है.
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यूँ बिगड़ी बहकी बातों का
कोई शौक़ नही है मुझको,
वो पुरानी शराब के जैसी है
असर सर से उतरता ही नहीं।
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कौन है जिसने मय नही चक्खी
कौन झूठी क़सम उठाता है,
मयकदे से जो बच निकलता है
तेरी आँखों में डूब जाता है !
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रह गई जाम में अंगड़ायाँ लेके शराब,
हम से माँगी न गई उन से पिलाई न गई
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थोड़ी सी पी शराब थोड़ी सी उछाल दी,
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी।
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टूटे तेरी निगाह से अगर दिल हबाब का
पानी भी फिर पिएं तो मज़ा दे शराब का.
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तुम आज साक़ी बने हो तो शहर प्यासा है,
हमारे दौर में ख़ाली कोई गिलास न था।
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हर किसी बात का जवाब नहीं होता
हर जाम इश्क में ख़राब नहीं होता
यूँ तो झूम लेते है नशे में रहने वाले
मगर हर नशे का नाम शराब नहीं होता..
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निगाह-ए-साक़ी से पैहम छलक रही है शराब,
पिओ की पीने-पिलाने की रात आई है.
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देखा किये वह मस्त निगाहों से बार-बार,
जब तक शराब आई कई दौर चल गये।
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अब तो उतनी भी बाकी नहीं मय-ख़ाने में,
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में।
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तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की,
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते।
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तबसरा कर रहे हैं दुनिया पर
चदं बच्चे शराब खाने में।
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शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूं,
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया.
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दिखा के मदभरी आंखें कहा ये साकी ने,
हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं।
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मय-ख़ाना सलामत है तो हम सुर्ख़ी-मय से,
तज़ईन-ए-दर-ओ-बाम-ए-हरम करते रहेंगे !
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बस एक इतनी वजह है मेरे न पीने की
शराब है वही साक़ी मगर गिलास नहीं.
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मुखातिब हैं साकी की मख्मूर नजरें,
मेरे जर्फ का इम्तिहाँ हो रहा है।
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तमाम रातें गुजर गयीं मयखाने में पीते-पीते
मगर अफ़सोस
न बोतल ख़त्म हुयी,
न किस्सा ख़त्म हुआ
और न ही तेरे दर्द का वो हिस्सा ख़त्म हुआ।
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आज इतनी पिला साकी के मैकदा डुब जाए
तैरती फिरे शराब में कश्ती फकीर की.
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मैकदे लाख बंद करें जमाने वाले,
शहर में कम नहीं आंखों से पिलाने वाले।
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एसी शराब पी है कि इक दिन मेरा निशां
मस्जिद में खानकाह में ढूँढा करेंगे लोग.
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अपनी नशीली निगाहों को,
जरा झुका दीजिए जनाब
मेरे मजहब में नशा हराम है।
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‘हाली’ नशात-ए-नग़मा-ओ-मय ढूंढते हो अब
आये हो वक़्त-ए-सुबह..
रहे रात भर कहाँ
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तेरी निगाह थी साक़ी कि मैकदा था कोई
मैं किस फ़िराक में शर्मिंदा-ए-शराब हुआ.
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नशा पिला के गिराना तो
सब को आता है,
मज़ा तो तब है कि
गिरतों को थाम ले साक़ी।
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थोड़ी सी पी शराब थोड़ी उछाल दी,
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी,
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पीने से कर चुका था मैं तौबा दोस्तों,
बादलो का रंग देख नीयत बदल गई।
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पूरा अब मेरा ये ख़्वाब हो जाये,
लिख दू उनके दिल पे किताब हो जाये,
ना मयकदे की जरूरत हो ना मयखाने की,
अगर नज़र से पिला दो शराब हो जाये..
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मीर इन नीम बाज आखों में
सारी मस्ती शराब की सी है.
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मयखाने की इज्ज़त का सवाल था हुज़ूर,
सामने से गुजरे तो, थोड़ा सा लड़खड़ा दिए।
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कभी मौक़ा लगे,
कड़वे दो घूँट चख लेना
ज़रा तेरे लिये शराब छोड़ आए हैं.!
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तुम्हारी नीम निगाही में न जाने क्या था
शराब सामने आयी तो फैंक दी मैंने.
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शायरी वो नही लिखते हैं,
जो शराब से नशा करते हैं
शायरी तो वो लिखते हैं,
जो यादों से नशा करते हैं..
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मेरे इत्तक़ा का बाइस, तु है मेरी नातवानी
जो में तौबा तोड़ सकता, तो शराब ख़ार होता
अमीर मीनाई
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पीने से कर चुका था मैं तौबा मगर ‘जलील’
बादल का रंग देख के नीयत बदल गई
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दारु चढ के उतर जाती है
पैसा चढ जाये तो उतरता नही
आप अपने नशे में जीते है
हम जरा सी शराब पीते है..
गुलज़ार
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पूछिये मैकशों से लुत्फ़ ए शराब,
ये मज़ा पाकबाज़ क्या जाने।
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पीने दे शराब मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ खुदा नहीं।
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बे पिए ही शराब से नफ़रत
ये जहालत नही तो और क्या है?
साहिर लुधियानवी
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होकर ख़राब-ए-मय तेरे ग़म तो भुला दिये
लेकिन ग़म-ए-हयात का दरमाँ न कर सके~साहिर
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गज़लें अब तक शराब पीती थीं
नीम का रस पिला रहे हैं हम.
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मस्त करना है तो खुम मुँह से लगा दे साकी,
तू पिलाएगा कहाँ तक मुझे पैमाने से।
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उस शख्स पर शराब का पीना हराम है,
जो रहके मैक़दे में भी इन्सां न हो सका.
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लोग अच्छी ही चीजों को यहाँ ख़राब कहते हैं,
दवा है हज़ार ग़मों की उसे शराब कहते हैं।
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ज़ाहिद शराब पीने से , क़ाफ़िर हुआ मैं क्यों,
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में , ईमान बह गया?
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आमाल मुझे अपने उस वक़्त नज़र आए
जिस वक़्त मेरा बेटा घर पी के शराब आया.
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ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचल
नशा शराब में होता तो नाचती बोतल.
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शराब के भी अनेक रंग हैं साक़ी,
कोई पीता है आबाद होकर,
तो कोई पीता है बर्बाद होकर
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झूठ कहते हैं लोग कि,
शराब ग़मों को हल्का कर देती है,
मैंने अक्सर देखा है लोगों को
नशे में रोते हुए
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पहले तुझ से प्यार करते थे
अब शराब से प्यार करते हैं.
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लोग जिंदगी में आये और चले गए
लेकिन शराब ने कभी धोखा नहीं दिया.
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ज़बान कहने से रुक जाए
वही दिल का है अफ़साना,
ना पूछो मय-कशों से क्यों
छलक जाता है पैमाना !
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के आज तो शराब ने भी अपना रंग दिखा दिया,
दो दुश्मनो को गले से लगवा, दोस्त बनवा दिया.
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एक घूँट शराब की जो मैंने लबों से लगायी,
तो आया समझ कि इससे भी कड़वी है तेरी सच्चाई
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पहले सागर से तो छलके मय-ए-गुलफाम का रंग,
सुबह के रंग में ढल जाएगा खुद शाम का रंग !
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सोच था कुछ और, लेकिन हुआ कुछ और
इसीलिए ये भुलाने के लिए चले गए शराब की ओर
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हर जाम पी गया मैं, ऐ दर्दे-जिंदगानी,
फिर भी बड़ा तरसा हूं, कुछ और शराब दे दो.
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तौहीन न करना कभी कह कर कड़वा शराब को
किसी ग़मजदा से पूछियेगा इसमें कितनी मिठास है।
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अब क्या बताऊँ तुझको कि,
तेरे जाने के बाद इस दिल पर क्या-क्या बीती है,
अब तो हम शराब को और शराब हमको पीती है
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हमने होश संभाला तो संभाला तुमको
तुमने होश संभाला तो संभलने न दिया
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हम तो बदनाम हुए कुछ इस कदर दोस्तों,
की पानी भी पियें तो लोग शराब कहते हैं।
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इश्क़-ऐ-बेवफ़ाई ने डाल दी है आदत बुरी,
मैं भी शरीफ हुआ करता था इस ज़माने में,
पहले दिन शुरू करता था मस्जिद में नमाज़ से,
अब ढलती है शाम शराब के साथ मैखाने में..
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मिले तो बिछड़े हुए मय-कदे के दर पे मिले,
न आज चाँद ही डूबे न आज रात ढले !
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पी है शराब हर गली हर दुकान से,
एक दोस्ती सी हो गई है शराब के जाम से,
गुज़रे हैं हम इश्क़ में कुछ ऐसे मुकाम से,
की नफ़रत सी हो गई है मुहब्बत के नाम से.
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मैं तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती,
मैं जवाब बनता अगर तू सवाल होती,
सब जानते है मैं नशा नही करता,
मगर मैं भी पी लेता अगर तू शराब होती.
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जाम पे जाम पीने से क्या फायदा दोस्तों,
रात को पी हुयी शराब सुबह उतर जाएगी,
अरे पीना है तो दो बूंद बेवफा के पी के देख
सारी उमर नशे में गुज़र जाएगी ..
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हमने पूछा कैसे, वो चले गए
हाथों मे जाम देकर
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तुम्हारी आँख की तौहीन है जरा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है!
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नशा मोहब्बत का हो या शराब का
होश दोनों में खो जाते है.
फर्क सिर्फ इतना है की शराब सुला देती है
और मोहब्बत रुला देती है
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कुछ चेहरे लाजवाब लगते हैं,
मोहब्बत के लम्हें शराब लगते हैं,
दर्द इतने सहे मोहब्बत में मैंने,
कि अब होश के पल खराब लगते हैं.
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अब तो ज़ाहिद भी ये कहता है बड़ी चूक हुई,
जाम में थी मय-ए-कौसर मुझे मालूम न था !
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शराब के भी अपने ही रंग हैं साकी
कोई आबाद होकर पीता है,
तो कोई बर्बाद होकर पीता है।
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टूटे हुए पैमाने बेकार सही लेकिन,
मय-ख़ाने से ऐ साक़ी बाहर तो न फेंका कर !
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कभी देखेंगे ऐ जाम तुझे होठों से लगाकर,
तू मुझमें उतरता है कि मैं तुझमें उतरता हूँ।
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जिगर की आग बुझे जिससे जल्द वो शय ला,
लगा के बर्फ़ में साक़ी,
सुराही-ए-मय ला।
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किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का,
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है !
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पीते थे शराब हम
उसने छुड़ाई अपनी कसम देकर,
महफ़िल में आये तो यारों ने
पिला दी उसकी कसम देकर।
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थोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए,
थोड़ी खुशी मिली तो मिला के पी गए,
यूँ तो न थी हमें ये पीने की आदत,
शराब को तन्हा देख तरस खा के पी गए।
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एक शराब की बोतल दबोच रखी है,
तुझे भुलाने की तरकीब सोच रखी है।
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देना वो उसका सागर व मय याद है निजाम
मुह फेर कर उधर को इधर को बढा के हाथ।
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कौन आता है मयखाने में
पीने को ये शराब साकी,
हम तो तेरे हुस्न का
दीदार किया करते हैं।
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इक धड़कता हुआ दिल,
एक छलकता हुआ जाम,
यही ले आते हैं मयनोश को मयख़ाने में…
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कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई,
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई।
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मय भी है मीना भी है सागर भी है साकी नही
जी मे आता है लगा दें आग मयखाने को ह
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मय बरसती है फ़ज़ाओं पे नशा तारी है,
मेरे साक़ी ने कहीं जाम उछाले होंगे !
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न जख्म भरे,
न शराब सहारा हुई
न वो वापस लौटी न मोहब्बत दोबारा हुई।
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मुझे ऐसी शराब बता ऐ दोस्त,
नशा-ए-इश्क उतार पाऊ मै।
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मिले ग़म से अपने फ़ुर्सत तो सुनाऊँ वो फ़साना
कि टपक पड़े नज़र से मय-ए-इश्रत-ए-शबाना
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गिरी मिली एक बोतल शराब की तो ऐसा लगा मुझे
जैसे बिखरा पड़ा था एक रात का सुकून किसी का।
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ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो।
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बहुत अमीर होती है ये शराब की बोतलें,
पैसा चाहे जो भी लग जाए सारे ग़म ख़रीद लेतीं हैं।
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आये कुछ अब्र कुछ शराब आये,
उसके बाद आये तो अज़ाब आये,
बाम-इ-मिन्हा से महताब उतरे,
दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आये।
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तुम्हें जो सोचें तो होता है कैफ़ सा तारी
तुम्हारा ज़िक्र भी जामे-शराब जैसा है
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कहते हैं पीने वाले मर जाते हैं जवानी में,
हमने तो बुजुर्गों को जवान होते देखा है मैखाने में।
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पीना काम आ गया..
लड़खड़ाये कदम तो गिरे उनकी बाँहों मे,
आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया।
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इक सिर्फ़ हमीं मय को आँखों से पिलाते हैं
कहने को तो दुनिया में मयख़ाने हज़ारों हैं!
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”शराब चीज़ ही ऐसी है ना छोड़ी जाये ये मेरे यार के जैसी है ना छोड़ी जाये”
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”मत पूछ उसके मैखाने का पता ऐ साकी, उसके शहर का तो पानी भी नशा देता है..❗”
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”मिलावट है तेरे इश्क में इत्र और शराब की, कभी हम महक जाते हैं कभी हम बहक जाते हैं..❗”
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”तुम्हारी आँखों की तौहीन है, ज़रा सोचो तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है..❗”
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”उनकी आंखें यह कहती रहती हैं, लोग नाहक शराब पीते हैं..❗”
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”पीने से कर चुका था मैं तौबा मगर ‘जलील’ बादल का रंग देख के नीयत बदल गई..❗”
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”तेरी आँखों के ये जो प्याले हैं, मेरी अंधेरी रातों के उजाले हैं, पीता हूँ जाम पर जाम तेरे नाम का, हम तो शराबी बे-शराब वाले हैं..❗”
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”पूरा अब मेरा ये ख़्वाब हो जाये, लिख दू उनके दिल पे किताब हो जाये, ना मयकदे की जरूरत हो ना मयखाने की, अगर नज़र से पिला दो शराब हो जाये..❗”
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”पूरा अब मेरा ये ख़्वाब हो जाये, लिख दू उनके दिल पे किताब हो जाये ना मयकदे की जरूरत हो ना मयखाने की, अगर नज़र से पिला दो शराब हो जाये..❗”
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”तुम्हें जो सोचें तो होता है कैफ़-सा तारी, तुम्हारा ज़िक्र भी जामे-शराब जैसा है..❗”
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”तुम्हारी नीम निगाही में न जाने क्या था शराब सामने आयी तो फैंक दी मैंने..❗”
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”झूठ कहते हैं लोग कि, शराब ग़मों को हल्का कर देती है, मैंने अक्सर देखा है लोगों को नशे में रोते हुए..❗”
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”शराब के भी अनेक रंग हैं साक़ी, कोई पीता है आबाद होकर, तो कोई पीता है बर्बाद होकर..❗”
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”पहले तुझ से प्यार करते थे, अब शराब से प्यार करते हैं..❗”
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”प्यार और शराब में छोटा सा फर्क हैं लेकिन ये फर्क बहुत बड़ा हैं प्यार दर्द देता हैं शराब दर्द भुला देता हैं..❗”
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”लोग जिंदगी में आये और चले गए, लेकिन शराब ने कभी धोखा नहीं दिया..❗”
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”पी के रात को हम उनको भुलाने लगे, शराब में गम को मिलाने लगे, दारू भी बेवफा निकली यारों, नशे में तो वो और भी याद आने लगे..❗”
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”नशा मोहब्बत का हो या शराब का होश दोनों में खो जाते है. फर्क सिर्फ इतना है की शराब सुला देती है और मोहब्बत रुला देती है..❗”
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”जाम में अफ़साने ढूंढते हैं हम लोग, लम्हों में ज़माने ढूंढते हैं हम लोग, तु ज़हर दे दे शराब कह कर सनम, अब तो मरने के बहाने ढूंढते हैं हम लोग..❗”
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”आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’ जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए..❗”
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”निगाह-ए-साक़ी से पैहम छलक रही है शराब, पिओ की पीने-पिलाने की रात आई है..❗”
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”आज इतनी पिला साकी के मैकदा डुब जाए तैरती फिरे शराब में कश्ती फकीर की..❗”
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”एसी शराब पी है कि इक दिन मेरा निशां, मस्जिद में खानकाह में ढूँढा करेंगे लोग..❗”
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”तेरी निगाह थी साक़ी कि मैकदा था कोई मैं किस फ़िराक में शर्मिंदा-ए-शराब हुआ..❗”
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”तबसरा कर रहे हैं दुनिया पर चदं बच्चे शराब खाने में..❗”
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”मीर इन नीम बाज आखों में, सारी मस्ती शराब की सी है..❗”
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”मेरे इत्तक़ा का बाइस, तु है मेरी नातवानी जो में तौबा तोड़ सकता, तो शराब ख़ार होता “अमीर मीनाई”..❗”
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”बे पिए ही शराब से नफ़रत, ये जहालत नही तो और क्या है? ..❗”
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”ग़ालिब छुटी शराब पर अब भी कभी-कभी, पीता हूँ रोज़ अब्र शबे-महताब में..❗”
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”उस शख्स पर शराब का पीना हराम है, जो रहके मैक़दे में भी इन्सां न हो सका..❗”
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”ज़ाहिद शराब पीने से , क़ाफ़िर हुआ मैं क्यों, क्या डेढ़ चुल्लू पानी में , ईमान बह गया?..❗”
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”पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार, ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है ..❗”
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”आये कुछ अब्र कुछ शराब आये, उसके बाद आये तो अज़ाब आये, बाम-इ-मिन्हा से महताब उतरे, दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आये..❗”
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”गिरी मिली एक बोतल शराब की, तो ऐसा लगा मुझे, जैसे बिखरा पड़ा हो सुकून, किसी के एक रात का..❗”
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”हर जाम पी गया मैं, ऐ दर्दे-जिंदगानी, फिर भी बड़ा तरसा हूं, कुछ और शराब दे दो..❗”
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”बैठे हैं दिल में ये अरमां जगाये, के वो आज नजरों से अपनी पिलाये, मजा तो तब ही आये पीने का यारो, शराब हम पियें और नशा उनको हो जाए..❗”
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”गम इस कदर मिला की घबरा के पी गये, खुशी थोड़ी सी मिली तो मिला के पी गये, यूँ तो ना थी जनम से पीने की आदत, शराब को तन्हा देखा तो तरस खा के पी गये..❗”
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”जाम पे जाम पीने से क्या फायदा दोस्तों, रात को पी हुयी शराब सुबह उतर जाएगी, अरे पीना है तो दो बूंद बेवफा के पी के देख सारी उमर नशे में गुज़र जाएगी ..❗”
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”हर किसी बात का जवाब नहीं होता हर जाम इश्क में ख़राब नहीं होता यूँ तो झूम लेते है नशे में रहने वाले मगर हर नशे का नाम शराब नहीं होता..❗”
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”मैं तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती, मैं जवाब बनता अगर तू सवाल होती, सब जानते है मैं नशा नही करता, मगर मैं भी पी लेता अगर तू शराब होती..❗”
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”मुझ तक कब उनकी बज़्म में आता था दौर-ए-जाम, साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में..❗”
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”हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया..❗”
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”रह गई जाम में अंगड़ायाँ लेके शराब, हम से माँगी न गई उन से पिलाई न गई ..❗”
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”टूटे तेरी निगाह से अगर दिल हबाब का, पानी भी फिर पिएं तो मज़ा दे शराब का..❗”
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”उन्हीं के हिस्से में आती है ये प्यास अक्सर, जो दूसरों को पिलाकर शराब पीते हैं..❗”
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”शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूं, क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया..❗”
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”बस एक इतनी वजह है मेरे न पीने की, शराब है वही साक़ी मगर गिलास नहीं..❗”
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”दारु चढ के उतर जाती है पैसा चढ जाये तो उतरता नही, आप अपने नशे में जीते है, हम जरा सी शराब पीते है..❗” “गुलज़ार”
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”शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब, उस में फिर मिलाई जाये थोड़ी सी शराब, होगा यूँ नशा जो तैयार वो प्यार हैं “नीरज”..❗”
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”कभी मौक़ा लगे, कड़वे दो घूँट चख लेना, ज़रा तेरे लिये शराब छोड़ आए हैं..❗”
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”गज़लें अब तक शराब पीती थीं, नीम का रस पिला रहे हैं हम..❗”
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”आमाल मुझे अपने उस वक़्त नज़र आए, जिस वक़्त मेरा बेटा घर पी के शराब आया..❗”
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”ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचल, नशा शराब में होता तो नाचती बोतल..❗”
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”प्यार से भी गहरा हैं शराब का नशा इसे दर्द में पीने पर ही हैं, असली मज़ा..❗”
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”थोड़ी सी पी शराब थोड़ी उछाल दी, कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी..❗”
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”के आज तो शराब ने भी अपना रंग दिखा दिया, दो दुश्मनो को गले से लगवा, दोस्त बनवा दिया..❗”
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”एक घूँट शराब की जो मैंने लबों से लगायी, तो आया समझ कि इससे भी कड़वी है तेरी सच्चाई..❗”
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”यूँ तौहीन न किजिये शराब को कड़वा कह कर, जनाब ये ज़िन्दगी के तजुर्बे शराब से भी कड़वे होते हैं..❗”
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”सोच था कुछ और, लेकिन हुआ कुछ और इसीलिए ये भुलाने के लिए चले गए शराब की ओर..❗”
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”अब क्या बताऊँ तुझको कि, तेरे जाने के बाद इस दिल पर क्या-क्या बीती है, अब तो हम शराब को और शराब हमको पीती है..❗”
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”मदहोश हम हरदम रहा करते हैं, और इल्ज़ाम शराब को दिया करते हैं, कसूर शराब का नहीं उनका है यारों, जिनका चेहरा हम हर जाम में तलाश किया करते हैं..❗”
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”इश्क़-ऐ-बेवफ़ाई ने डाल दी है आदत बुरी, मैं भी शरीफ हुआ करता था इस ज़माने में, पहले दिन शुरू करता था मस्जिद में नमाज़ से, अब ढलती है शाम शराब के साथ मैखाने में..❗”
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”पी है शराब हर गली हर दुकान से, एक दोस्ती सी हो गई है शराब के जाम से, गुज़रे हैं हम इश्क़ में कुछ ऐसे मुकाम से, की नफ़रत सी हो गई है मुहब्बत के नाम से..❗”
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”शायरी वो नही लिखते हैं, जो शराब से नशा करते हैं, शायरी तो वो लिखते हैं, जो यादों से नशा करते हैं..❗”
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”हमने पूछा कैसे, वो चले गए हाथों मे जाम देकर ..❗”
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”कुछ चेहरे लाजवाब लगते हैं, मोहब्बत के लम्हें शराब लगते हैं, दर्द इतने सहे मोहब्बत में मैंने, कि अब होश के पल खराब लगते हैं..❗”
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”मुझे पीने का शौख नहीं पीता हूँ ग़म भुलाने को…❗”
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Mat Punchh Usake Maikhane Ka Pata E Saki, Usake Shahar Ka Pani Bhi Nasha Deta Hai.
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Milawat Hai Tere Ishk ME Itr Aur Sharab Ki, Kabhi Ham Mahak Jate Hai, Kabhi Ham Bahak Jaate Hai.
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Tumhari Ankhon Ki Tauhin Hai, Jara Socho, Tumhaara Chahane Wala Sharaab Peeta Ho.
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Unaki Ankhe Yah Lahati Rahati Hai, Log Nahak Sharab Peete Hai.
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Peene Se Kar Chuka Tha Main Tauba Magar “Zalil” Baadal Ka Rang Dekh Ke Niyat Badal Gayi.
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Teri ANkhon Ke Ye Jo Pyaale hai, Meri Andheri Raato Ke Ujaale Hai. Peeta Hun Jaam Par Jaam Tere Naam Ka, Ham To Sharabi Be-Sharab Wale.
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Pura Ab Mera Ye Khwaab Ho Jaaye, Likh Du Unake Dil Pe Kitab Ho Jaaye. Na Maykade Ki Jarurat Ho Naa Maykhane Ki, Agar Nazar Se Peela Do Sharab Ho Jaaye.
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Tumhe Jo Soche To Hota Hai Kaif-Sa Taari, Tumhaara Zikr Bhi Jaame-Sharab Jaisa Hai.
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 Tumhari Neem Nigahi Me Na Jane Kya Tha, Sharab Samane Aayi To Faik Di Maine.
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Jhuth Kahate Hai Log Ki, Sharab Gamo Ko Halka Kar Deti Hai Maine Aksar Dekha Hain Logo Ko Nashe Me Rote Huye.
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Pyar Aur Sharab Me Chhota Sa Fark Hai, Lekin Ye Fark Bahut Bada Hai. Pyaar Dard Deta Hai, Sharab Dard Bhula Deta Hai.
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Log Zindagi Me Aaye Aur Chale Gaye, Lekin Sharab Ne Kabhi Dhokha Nahi Diya.
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Pee Ke Raat Ko Ham Unako Bhulane Lage, Sharab Me Gam Ko Milane Lage. Daru Bewafa Nikali Yaaro, Nashe Me To Wo Aur Bhi Yaad Aane Lage.
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Nasha Mohabbat Ka Ho Ya Sharab Ka Hosh Dono Me Kho Jaate Hai. Fark Sirf Itana Hai Ki Sharab Sula Deti Hai, Aur Muhabbat Rula Deti HAI.
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Jaam Me Afasaane Dhundhate Hai Ham Log, Lamho Me Zamane Dhundhate Hain Ham Log. Tu Zahar De-De Sharab Kah Kar Sanam, Ab To Marane Ke Bahane Dhundhate Ham Log.
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Aaye The Hansate Khelate May-Khane Me “Firak” Jab Pee Chuke Sharab To Sanjida Ho Gaye.
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Nigah-E-Saki Se Paiham Chhalak Rahi Hai Sharab, Peeo Ki Peene-Peelane Ki Raat Aayi Hai.
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Aaj Itani Pila Saki Ke Maikada Dub Jaye, Tairati Fire Sharab Me Kashti Fakir Ki.
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Esi Sharab Pee Hai Ki Ek Din Mera Nishan, Masjid Me Khankaah Me Dhundha Karenge Log.
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Teri Nigah Thi Saki Ki Maikada Tha Koi, Mai Kisi Firaak Me Sharminda-E-Sharab Hua.
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Tabsara Kar Rahe Duniya Par, Chand Bachche Sharab Khane Me.
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Meer In Neem Baaj Ankhon Me, Sari Masti Sharab Ki Si Hai.
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Mere Ittaka Ka Bayis, Tu Hai Meri Natwani, Jo Main Tauba Tod Sakata, To Sharab Khar Hota.
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Be Peeye Hi Sharab Se Nafarat, Ye Jahaalat Nahi To Aur Kya Hai? “साहिर लुधियानवी”.
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Galib Chhuti Sharab Par Ab Bhi Kabhi-Kabhi Peeta Hun Roz Abr-Mahataab Me.
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Us Shakhs Par Sharab Ka Peena Haraam Hai Jo Rahake Maikade Me Insan N hO Saka.
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Zahid Sharab Peene Se, Kafir Hua Main Kyu? Kya Dedh Chullu Pani ME, Imaan Bah gaya?
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Piyu Sharab Agar Khum Bhi Dekh Lun Do Char Ye Shisha-O-Kadah-O-Kuza-O-Subu Kya Hai. “ग़ालिब”
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Aaye Kuchh Abr, Kuchh Sharab Aaye, Usake Baad Aaye To Azaab Aaye, Baam-E-Minha Se Mahataab Utare, Dast-E-Saki Me Aaftaab Aaye.
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Giri Mili Ek Botal Sharab Ki, To Esa Laga Mujhe Jaise Bikhara Pada Ho Sukun, Kisi Ke Ek Raat Ka.
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Har Jaam Pee Gaya Main, E Darde-Zindagani, Fir Bhi Tarasa Hun Kuchh Aur Sharab De Do.
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Baithe Hai Dil Me Ye Araman Jagaaye Ke Wo Aaj Nazaro Se Apani Pilaye. Maza To Tab Hi Aaye Peene Ka Yaaro, Sharab Ham Peeye Aur Nasha Unako Ho Jaaye.
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Gam Is Kadar Mila Ki Ghabara Ke Pee Gaye, Khushi Thodi Si Mili To Mila Ke Pee Gaye, Yun To Na Thi Janam Se Peene Ki Aadat Sharab Ko Tanha Dekha To Taras Kha Ke Pee Gaye.
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Jaam Pe Jaam Peene Se Kya Fayada Dosto, Raat Ko Pee huyi Sharab Subah Utar Jaayegi, Are Peena Hai To Do Bund Bewafa Ke Pee Ke Dekh, Sari Umar Nashe Me Guzar Jaayegi.
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Har Kisi Baat Ka Jawaab Nahi Hota, Har Jaam Ishk Me Kharab Nahi Hota Yun To Jhum Lete Hain Nashe Me Rahane Wale Magar Har Nashe Ka Naam Sharab Nahi Hota.
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Main Tod Leta Agar Tu Gulab Hoti, Main Jawaab Banata Tu Sawaal Hoti. Sab Jaanate Hain Main Nasha Nahi Karata, Magar Main Bhi Pee Leta Agar Tu Sharaab Hoti.
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Tute Teri Nigaho Se Agar Dil Habaab Ka, Pani Bhi Fir Peeye To Maza De Sharab Ka.
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Unhi Ke Hisse Me Aati Hai Ye Pyaas Aksar, Jo Dusaro Ko Peelakar Sharab Peete Hai.
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Sharab Peene Se Kafir Hua Mai Kyu, Kya Dedh Chullu Pani Me Imaan Bah Gaya.
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Bas Ek Itani Wazah Hai Mere Na Peene Ki, Sharab Hai Wahi Saki Magar Gilas Nahi.
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Daru Chadh Ke Utar Jaati Hai, Paisa Chadh Jaye To Utarata Nahi. Aap Apane Nashe ME Jeete Hai, hAM jara Si Sharab Peete HAI. “गुलज़ार”.
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Shokhiyo Me Ghola Jaaye Phoolon Ka Shabab, Us Me Fir Milayi Jaaye Thodi Si Sharab Hoga Yun Nasha Jo Taiyaar Wo Pyaar Hai। “नीरज”
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Kabhi Mauka Lage, Ladawe Do Ghunt Chakh Lena, Jara Tere Liye Sharab Chhod Aaye Hai.
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Ghazal Ab Tak Sharab Peeti Thi, Neem Ka Ras Peela Rahe Hai Ham.
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Aamaal Mujhe Apane Us Waqt Nazar Aaye, Jis Waqt Mera Beta Ghar Pee Ke Sharab Aaya.
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Khud Apani Masti Hai Jis Ne Machayi Hai Halachal Nasha Sharab Me Hota To Nachati Botal.
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Pyaar Se Bhi Gahara Hai Sharab Ka Nasha Ise Dard Me Peene par Hi Hai Asali Maza.
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Thodi Si Pee Sharab Thodi Uchhal Di, Kuchh Is Tarah Se Hamane Jawaani Nikal Di.
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Ke Aaj To Sharab Ne Bhi Apana Rang Dikha Diya Do Dushamanon Ko Gale Se Lagawa, Dost Bana Diya.
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Ek Ghut Sharab Ki Jo Maine Labo Se Lgayi, To Aaya Samajh Ki Isase Bhi Kadvi Hai Teri Sachchyi.
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Yun Tauhin Naa Kijiye Sharab Ko Kadawa Kah Kar, Janaab Ye Zindagi Ke Tajurbe, Sharab Se Bhi Kaduye Hote Hai.
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Soch Tha Kuchh Aur Lekin Hua Kuchh Aur Isliye Ye Bhulane Ke Liye Chale Gaye Sharab Ki Aor.
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Ab Kya Batau Tujhako Ki, Tere Jaane Ke Baad Is Dil Par Kya-Kya Biti, Ab To Ham Sharab Ko Aur Sharab Hamako Peeti Hai.
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Madahosh Ham Hardam Raha Karate Hai, Aur Ilzaam Sharab Ko Diya Karate Hai. Kasur Sharab Ka Nahi Unaka Hai Yaaro, Jinaka Chehara Ham Har Jaam Me Talash kiya Karate Hai.
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Ishk-E-Bewafayi Ne Daal Di Hai Aadat Buri, Main Bhi Sharif Hua Karata Tha, Is Zamane Me. Pahale Din Shuru Karata Tha Masjid Me Namaz Se, Ab Dhalati Hai Sham Sharab Ke Sath Maikhane Me.
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Pee Hai Sharab Har Gali Har Dukhan Se, Ek Dosti Si Ho Gayi Hai Sharab Ke Jaam Se, Guzare Hai Ham Ishk Me Kuchh Yese Mukaam Se, Ki Nafarat Si Ho Gayi Hain, Muhabbat Ke Naam Se.
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Shayari Wo Nahi Likhate HAI, Jo Sharab Se Nasha Karate Hai. Shayari To Wo Likhate Hai, Jo Yaado Se Nasha Karate Hain.
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Hamne Punchha Kaise Wo Chale Gaye Hatho Me Jaam Dekar.
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Kuchh Chehare Lazawaab Lagate Hai, Mohabbat ke Lamhe Sharab Lagate Hai, Dard Itane Sahe Mohabbat Me Maine Ki Ab Hosh Ke Pal Kharab Lagte Hai.
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निष्कर्ष

इस ब्लॉग पोस्ट में हमने शराब छोड़ने के लिए कुछ शायरियों को शेयर किया है। शराब का नशा एक बुरी आदत हो सकती है जो आपकी ज़िन्दगी को नुकसान पहुँचाती है। हमें उम्मीद है कि आपको इस ब्लॉग पोस्ट से कुछ न कुछ सीखने को मिला होगा और आप इससे प्रेरणा लेकर अपनी ज़िन्दगी को शराब के नशे से दूर रखने का प्रयास करेंगे।

शायद आपने इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखा हो, या फिर आपको अपनी आदत से छुटकारा पाने के लिए प्रेरित हुए हों। हम आशा करते हैं कि यह ब्लॉग पोस्ट आपके जीवन में अच्छे बदलाव लाने में सहायता करेगा।

इसी तरह की नयी-नयी जानकारी और मजेदार शायरी के साथ आपके लिए हमेशा कुछ नया लाते रहेंगे। आप इस ब्लॉग पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ साझा करें ताकि वे भी इससे लाभान्वित हो सकें। आप हमें अपने विचार और सुझाव देने के लिए कमेंट बॉक्स में अपनी राय दे सकते हैं।

Last updated: अक्टूबर 13, 2023

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