शराब एक आदत है जो शायद सबसे कठिन छुटकारा पाना होता है। इस आदत से निपटने के लिए कुछ लोग अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां करते हैं, और इसलिए आज हम बात करेंगे “शराब छोड़ने पर शायरी” के बारे में। इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम आपको शराब से निपटने के लिए कुछ शायरियों के बारे में बताएंगे, जो आपकी मदद करेंगे शराब की इस खतरनाक आदत से निपटने में।
मनुष्य के लिए शराब का नशा एक बहुत बड़ी समस्या है, जिससे निपटने के लिए कई लोगों को शायरी की मदद लेनी पड़ती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम शराब छोड़ने के लिए शायरियों के बारे में चर्चा करेंगे।
शराब छोड़ने पर शायरी – Shayari on quitting alcohol
शराब का त्याग कर,
सफलता की ऊँचाइयों को छू जाओ,
जीवन के नए मोड़ पर,
अपने असली रंग में खिल जाओ।
शराब की लत से छुटकारा पाकर,
आगे की यात्रा को जारी रखो,
जीवन का सफर थोड़ा मुश्किल है,
पर हार न मानो, खुद को होशियार रखो।
त्याग करो शराब की इस आदत को,
देखो जीवन की खुशियों को,
प्यार, खुशी, सुख, शांति और सम्मान,
मिलेंगे तुम्हें इस संघर्ष के बाद।
शराब का त्याग करो और बनो महान,
जीतो खुद को और दुनिया को समझाओ,
जीवन का सफर तो हमेशा जारी रहेगा,
पर खुद को संभालो और आगे बढ़ जाओ।
CopyShare on WhatsAppशराब की लत से छुटकारा पाकर,
जीवन को नई राह पर लाकर,
हर दिन का नया सफर शुरू करो,
जीत का महौल बनाकर आगे बढ़ो।
शराब से होश उड़ जाते हैं,
फिर इंसान अपने आप से रूठ जाते हैं,
त्याग करो उस नशे की इस आदत को,
देखो कितना आसान होता है सफलता का मोड़।
जीवन की सफलता और खुशियों की तलाश में,
शराब की आदतों से बहुत सारी मुश्किलें हैं,
तो इससे मुक्त हो जाओ और दुनिया को दिखाओ,
अपने दम पर जीत की ऊँचाइयों को छू जाओ।
CopyShare on WhatsAppशराब से बचने के लिए नहीं चाहिए सारी ताकत,
होश में हो और सही दिशा में चलो अपनी जिंदगी की राहत,
ये नशे की लत नहीं, बल्कि बुरी आदत है,
त्याग दो इसे, जीवन का हर पल खुशियों से हो भरा।
शराब का जमाना अब गुजर गया है,
इस नशे से आपका स्वस्थ बुरा हो जाता है,
जीवन का सत्य समझो और इस आदत से त्याग करो,
अपने आप को खुशहाल बनाओ, जीवन को जीतो।
नशे की लत से मुक्त हो कर,
हर पल जिंदगी का मजा उठाओ जी भर के,
नए सपनों की ओर बढ़ो तय करो अपनी दिशा,
हमेशा आगे बढ़ो, नशे को भूल कर।
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शराब छोड़ने पर motivation शायरी
शराब की तलब छोड़, अपने जीवन का असली मजा पाओ,
नशे के धुंए से अपने दिमाग को बचाओ।
होश में रहकर अपनी जिंदगी को समझो,
खुशहाली की दिशा में आगे बढ़ो।
शराब के नशे में खोकर न जाओ,
अपने दिल की सुनो और सही राह चुनो।
शराब छोड़ना है तो हमेशा तैयार रहो,
हर लम्हे में अपने को समझो।
जब शराब का नशा छूट जाएगा,
तब आपको जिंदगी का सही मजा आएगा।
इस तरह से जीवन को जीना है,
शराब छोड़ना ही राहत है।
CopyShare on WhatsAppशराब का नशा छोड़ने का फैसला,
जीवन का सबसे सुखद अनुभव होगा।
थोड़ा तुम खुद को समझाओ,
और शराब का नशा अपने आप से हटाओ।
तुम्हारे अंदर की शक्ति से जुड़े,
और नशे से दूर चले जाओ।
जब आप शराब को छोड़ेंगे,
तब आप अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कदम उठाओगे।
नशे का दौर अब खत्म होगा,
और जीवन में नई खुशियों की शुरुआत होगी।
शराब छोड़ने की ये खुशखबरी,
जीवन को सफल बनाएगी और समृद्धि देगी।
CopyShare on WhatsAppशराब छोड़ना है तो ज़िन्दगी जीतनी होगी,
जीते जी खुश रहोगे और दूसरों को भी जीने दोगे।
शराब छोड़ो नशे से दूर रहो,
अपने सपनों को पूरा करने का सपना पाओ।
हर कदम पे हौसले को मजबूत करो,
शराब का नशा जीतो और जीत को हमेशा जियो।
तुम्हारी मेहनत तुम्हे कभी नहीं धोखा देगी,
और शराब छोड़ने का फैसला तुम्हारा जीवन बदल देगा।
CopyShare on WhatsAppशराब छोड़ो और जीवन को नई दिशा दो,
नशे को दूर करो और अपने जीवन को उजागर करो।
अपने हौसले से जीतो शराब का नशा,
और नयी खुशियों से भरो अपना जीवन का हर पल।
शराब छोड़ने पर होगा असली जीत,
नशे से दूर रहकर जीवन में पाओ नई ऊंचाईयों की और नयी सफलताओं की चोटी।
तुम भी शराब का नशा छोड़ो और जीतो नयी ज़िन्दगी का खुशहाल हर पल।
CopyShare on WhatsAppशराब छोड़ने से मिलती है सच्ची तकदीर,
नशे का साया छोड़ो और नई ज़िन्दगी की ओर बढ़ो।
तुम सफलता के मार्ग पर अग्रसर होगे,
और शराब का नशा छोड़ने की ये बात तुम्हारी ताकत बनेगी।
हर पल की नयी चुनौतियों से बचकर,
तुम शराब के नशे से बचो और अपने सपनों की तरफ बढ़ो।
तुम्हारा सफर होगा सफलता का हमसफ़र,
और नशे से दूर रहकर तुम भी अपनी ज़िन्दगी का सौदा करो।
CopyShare on WhatsAppशराब के नशे से हमेशा के लिए मुक्त हो,
अपनी ज़िन्दगी के नए सफ़र में अग्रसर हो।
तुम्हारी नयी ज़िन्दगी का हर पल हो खुशियों से भरा,
नशे से दूर रहना हो तुम्हारी सफलता का एक रहस्य है।
जीवन के बाहरी मुद्दों से परेशान होकर,
शराब के नशे में तुम खुद को ना खो दो।
तुम अपने सपनों के लिए लड़ो, और शराब का नशा छोड़ो,
क्योंकि ज़िन्दगी का असली मज़ा तो नशे से नहीं बल्कि सफलता से है।
CopyShare on WhatsAppजिंदगी का नशा था, शराब में खो गये,
मायूसी और रुतबा हर रोज़ बढ़ता गये।
दिल की आहटें दबी, सपनों के सपारे टूटे,
मैंने छोड़ दी शराब को, आज नया रास्ता चुन लिये।
CopyShare on WhatsAppआंसू रोक पाना मुश्किल था इसे छोड़ते हुए,
पर आज मुझे अभिमान है, अपनी मजबूरियों पे रुलते हुए।
शराब ने छीना था सपनों को मेरे,
पर आज मैंने खुद को पाया है, विश्वास दिलाते हुए।
CopyShare on WhatsAppनशा छोड़ने का कितना आसान लगता था,
पर सत्य है, वो एक जुए की तरह अटक जाता था।
मदिरा के नशे में खो जाना मुश्किल था,
पर आज मैंने खुद को पाने के लिए अच्छा किया।
CopyShare on WhatsAppदिन बिताए अनजाने तनहा राहों में,
खोए अपनी पहचान अंधेरे कोहरों में।
आज उठा हूँ मैं नए उजाले के साथ,
नशे का नगर छोड़कर खुद को पाया है साथ।
CopyShare on WhatsAppशराब की लत को छोड़कर, आज मैं जी रहा हूँ,
खुद को खोजकर, नए सपनों में जी रहा हूँ।
ये जीवन एक नया दौर लेता है साथ,
जहाँ नशा नहीं है, वहाँ सच्ची खुशियाँ मिलती हैं साथ।
CopyShare on WhatsAppनशे की आदत से अलविदा कह रहा हूँ,
आज नयी राह पर बढ़ने को तैयार हूँ।
दरिया-ए-मय को पीकर थक चुका हूँ मैं,
आज स्वतंत्रता के स्वप्न अधूरे हो चुका हूँ।
CopyShare on WhatsAppशराब की चाहत में खो जाना हमेशा,
उजाले की रोशनी से दूर जाना हमेशा।
पर आज बदल गया हूँ, नशे का गुलाम नहीं,
स्वतंत्र आत्मा के बंधन से मुक्त हो चुका हूँ।
CopyShare on WhatsAppआदतें छोड़ना मुश्किल होता है यकीनन,
पर जब खुद को पाते हैं, तब जीने में मज़ा होता है।
शराब की गहराई में डूबा हुआ था जीवन,
पर आज ऊंचाइयों को छूने को तैयार हूँ।
CopyShare on WhatsAppनशा छोड़ कर मैं खुद को पाया है स्वतंत्र,
अपने अंदर की ताकतों को पहचाना है।
आज उड़ने को हौसला मिल रहा है,
ज़िंदगी के मौसम में खुद को भरपूर पाया है।
CopyShare on WhatsAppनशे का त्याग करना वास्तव में शानदार है,
स्वतंत्रता की अनुभूति को अद्वितीय बनाता है।
दरिया-ए-मय की तरंगों को पीकर नहीं,
आज जीने का आनंद सच्चाई से पाता हूँ।
CopyShare on WhatsAppनशे की दुनिया में बसे थे हम एक समय,
पर आज नयी परिभाषा में बदल गया है जीने का रास्ता।
शराब की चाहत से उबरकर,
मैं खुद को पाया हूँ, एक नयी अवस्था में समाया हूँ।
CopyShare on WhatsAppनशे के प्यालों से खुद को छुड़ाते हुए,
मैं खुद को जीने की राह पर चलता जा रहा हूँ।
आज सुबह की चाशनी के साथ,
मैं अपने सपनों की ऊचाईयों को छू रहा हूँ।
CopyShare on WhatsAppनशा छोड़ कर जीने की राह में,
मैं खुद को खोजता जा रहा हूँ।
आंधी और तूफ़ानों से लड़ते हुए,
मैं अपनी ताकतों को पहचानता जा रहा हूँ।
CopyShare on WhatsAppनशे की रातों को छोड़कर,
स्वतंत्रता के दिनों में जीने का मज़ा आ रहा है।
दरिया-ए-मय की लहरों को छोड़कर,
खुद को उचाइयों में खोजता जा रहा हूँ।
CopyShare on WhatsAppमत पूछ उसके मैखाने का पता ऐ साकी,
उसके शहर का तो पानी भी नशा देता है.
CopyShare on WhatsAppकभी उलझ पड़े खुदा से कभी साक़ी से हंगामा,
ना नमाज अदा हो सकी ना शराब पी सके।
CopyShare on WhatsAppहर बार सोचता हूँ
छोड़ दूंगा मैं पीना अब से,
मगर तेरी आड़ आती है
और हम मयखाने को चल पड़ते हैं।
CopyShare on WhatsAppमिलावट है तेरे इश्क में
इत्र और शराब की,
कभी हम महक जाते हैं
कभी हम बहक जाते हैं
CopyShare on WhatsAppनतीजा बेवजह महफिल से उठवाने का क्या होगा,
न होंगे हम तो साकी तेरे मैखाने का क्या होगा।
CopyShare on WhatsAppतेरी आँखों के ये जो प्याले हैं,
मेरी अंधेरी रातों के उजाले हैं,
पीता हूँ जाम पर जाम तेरे नाम का,
हम तो शराबी बे-शराब वाले हैं.
CopyShare on WhatsAppआए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए
CopyShare on WhatsAppग़ालिब छुटी शराब पर अब भी कभी कभी
पीता हूँ रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब में
CopyShare on WhatsAppये ना पूछ मैं शराबी क्यूँ हुआ, बस यूँ समझ ले,
गमों के बोझ से, नशे की बोतल सस्ती लगी।
CopyShare on WhatsAppउन्हीं के हिस्से में आती है ये प्यास अक्सर,
जो दूसरों को पिलाकर शराब पीते हैं.
CopyShare on WhatsAppतुम्हारी आँखों की तौहीन है, ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है.
CopyShare on WhatsAppग़म इस कदर बढ़े कि घबरा के पी गया,
इस दिल की बेबसी पे तरस खा के पी गया,
ठुकरा रहा था मुझे बड़ी देर से ज़माना,
मैं आज सब जहान को ठुकरा के पी गया।
CopyShare on WhatsAppमुझ तक कब उनकी बज़्म में आता था दौर-ए-जाम
साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में.
CopyShare on WhatsAppतुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है,
खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है,
फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ टूटे दिल वालों,
यहाँ दर्द-ए-दिल की दवा पिलाई जाती है।
CopyShare on WhatsAppसाबित हुआ है गर्दन-ए-मीना पे ख़ून-ए-ख़ल्क़,
लरज़े है मौज-ए-मय तेरी रफ़्तार देख कर !
CopyShare on WhatsAppहम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया.
CopyShare on WhatsAppकहीं सागर लबालब हैं कहीं खाली पियाले हैं,
यह कैसा दौर है साकी यह क्या तकसीम है साकी।
CopyShare on WhatsAppशिकन न डाल माथे पर शराब देते हुए,
ये मुस्कुराती हुई चीज़ मुस्कुरा के पिला।
CopyShare on WhatsAppउनकी आंखें यह कहती रहती हैं
लोग नाहक शराब पीते हैं.
CopyShare on WhatsAppमेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है,
करता भी क्या और तुम पर जो आ रही थी बात।
CopyShare on WhatsAppतुम्हें जो सोचें तो होता है कैफ़-सा तारी,
तुम्हारा ज़िक्र भी जामे-शराब जैसा है.
CopyShare on WhatsAppयूँ बिगड़ी बहकी बातों का
कोई शौक़ नही है मुझको,
वो पुरानी शराब के जैसी है
असर सर से उतरता ही नहीं।
CopyShare on WhatsAppकौन है जिसने मय नही चक्खी
कौन झूठी क़सम उठाता है,
मयकदे से जो बच निकलता है
तेरी आँखों में डूब जाता है !
CopyShare on WhatsAppरह गई जाम में अंगड़ायाँ लेके शराब,
हम से माँगी न गई उन से पिलाई न गई
CopyShare on WhatsAppथोड़ी सी पी शराब थोड़ी सी उछाल दी,
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी।
CopyShare on WhatsAppटूटे तेरी निगाह से अगर दिल हबाब का
पानी भी फिर पिएं तो मज़ा दे शराब का.
CopyShare on WhatsAppतुम आज साक़ी बने हो तो शहर प्यासा है,
हमारे दौर में ख़ाली कोई गिलास न था।
CopyShare on WhatsAppहर किसी बात का जवाब नहीं होता
हर जाम इश्क में ख़राब नहीं होता
यूँ तो झूम लेते है नशे में रहने वाले
मगर हर नशे का नाम शराब नहीं होता..
CopyShare on WhatsAppनिगाह-ए-साक़ी से पैहम छलक रही है शराब,
पिओ की पीने-पिलाने की रात आई है.
CopyShare on WhatsAppदेखा किये वह मस्त निगाहों से बार-बार,
जब तक शराब आई कई दौर चल गये।
CopyShare on WhatsAppअब तो उतनी भी बाकी नहीं मय-ख़ाने में,
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में।
CopyShare on WhatsAppतुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की,
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते।
CopyShare on WhatsAppतबसरा कर रहे हैं दुनिया पर
चदं बच्चे शराब खाने में।
CopyShare on WhatsAppशराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूं,
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया.
CopyShare on WhatsAppदिखा के मदभरी आंखें कहा ये साकी ने,
हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं।
CopyShare on WhatsAppमय-ख़ाना सलामत है तो हम सुर्ख़ी-मय से,
तज़ईन-ए-दर-ओ-बाम-ए-हरम करते रहेंगे !
CopyShare on WhatsAppबस एक इतनी वजह है मेरे न पीने की
शराब है वही साक़ी मगर गिलास नहीं.
CopyShare on WhatsAppमुखातिब हैं साकी की मख्मूर नजरें,
मेरे जर्फ का इम्तिहाँ हो रहा है।
CopyShare on WhatsAppतमाम रातें गुजर गयीं मयखाने में पीते-पीते
मगर अफ़सोस
न बोतल ख़त्म हुयी,
न किस्सा ख़त्म हुआ
और न ही तेरे दर्द का वो हिस्सा ख़त्म हुआ।
CopyShare on WhatsAppआज इतनी पिला साकी के मैकदा डुब जाए
तैरती फिरे शराब में कश्ती फकीर की.
CopyShare on WhatsAppमैकदे लाख बंद करें जमाने वाले,
शहर में कम नहीं आंखों से पिलाने वाले।
CopyShare on WhatsAppएसी शराब पी है कि इक दिन मेरा निशां
मस्जिद में खानकाह में ढूँढा करेंगे लोग.
CopyShare on WhatsAppअपनी नशीली निगाहों को,
जरा झुका दीजिए जनाब
मेरे मजहब में नशा हराम है।
CopyShare on WhatsApp‘हाली’ नशात-ए-नग़मा-ओ-मय ढूंढते हो अब
आये हो वक़्त-ए-सुबह..
रहे रात भर कहाँ
CopyShare on WhatsAppतेरी निगाह थी साक़ी कि मैकदा था कोई
मैं किस फ़िराक में शर्मिंदा-ए-शराब हुआ.
CopyShare on WhatsAppनशा पिला के गिराना तो
सब को आता है,
मज़ा तो तब है कि
गिरतों को थाम ले साक़ी।
CopyShare on WhatsAppथोड़ी सी पी शराब थोड़ी उछाल दी,
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी,
CopyShare on WhatsAppपीने से कर चुका था मैं तौबा दोस्तों,
बादलो का रंग देख नीयत बदल गई।
CopyShare on WhatsAppपूरा अब मेरा ये ख़्वाब हो जाये,
लिख दू उनके दिल पे किताब हो जाये,
ना मयकदे की जरूरत हो ना मयखाने की,
अगर नज़र से पिला दो शराब हो जाये..
CopyShare on WhatsAppमीर इन नीम बाज आखों में
सारी मस्ती शराब की सी है.
CopyShare on WhatsAppमयखाने की इज्ज़त का सवाल था हुज़ूर,
सामने से गुजरे तो, थोड़ा सा लड़खड़ा दिए।
CopyShare on WhatsAppकभी मौक़ा लगे,
कड़वे दो घूँट चख लेना
ज़रा तेरे लिये शराब छोड़ आए हैं.!
CopyShare on WhatsAppतुम्हारी नीम निगाही में न जाने क्या था
शराब सामने आयी तो फैंक दी मैंने.
CopyShare on WhatsAppशायरी वो नही लिखते हैं,
जो शराब से नशा करते हैं
शायरी तो वो लिखते हैं,
जो यादों से नशा करते हैं..
CopyShare on WhatsAppमेरे इत्तक़ा का बाइस, तु है मेरी नातवानी
जो में तौबा तोड़ सकता, तो शराब ख़ार होता
अमीर मीनाई
CopyShare on WhatsAppपीने से कर चुका था मैं तौबा मगर ‘जलील’
बादल का रंग देख के नीयत बदल गई
CopyShare on WhatsAppदारु चढ के उतर जाती है
पैसा चढ जाये तो उतरता नही
आप अपने नशे में जीते है
हम जरा सी शराब पीते है..
गुलज़ार
CopyShare on WhatsAppपूछिये मैकशों से लुत्फ़ ए शराब,
ये मज़ा पाकबाज़ क्या जाने।
CopyShare on WhatsAppपीने दे शराब मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ खुदा नहीं।
CopyShare on WhatsAppबे पिए ही शराब से नफ़रत
ये जहालत नही तो और क्या है?
साहिर लुधियानवी
CopyShare on WhatsAppहोकर ख़राब-ए-मय तेरे ग़म तो भुला दिये
लेकिन ग़म-ए-हयात का दरमाँ न कर सके~साहिर
CopyShare on WhatsAppगज़लें अब तक शराब पीती थीं
नीम का रस पिला रहे हैं हम.
CopyShare on WhatsAppमस्त करना है तो खुम मुँह से लगा दे साकी,
तू पिलाएगा कहाँ तक मुझे पैमाने से।
CopyShare on WhatsAppउस शख्स पर शराब का पीना हराम है,
जो रहके मैक़दे में भी इन्सां न हो सका.
CopyShare on WhatsAppलोग अच्छी ही चीजों को यहाँ ख़राब कहते हैं,
दवा है हज़ार ग़मों की उसे शराब कहते हैं।
CopyShare on WhatsAppज़ाहिद शराब पीने से , क़ाफ़िर हुआ मैं क्यों,
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में , ईमान बह गया?
CopyShare on WhatsAppआमाल मुझे अपने उस वक़्त नज़र आए
जिस वक़्त मेरा बेटा घर पी के शराब आया.
CopyShare on WhatsAppख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचल
नशा शराब में होता तो नाचती बोतल.
CopyShare on WhatsAppशराब के भी अनेक रंग हैं साक़ी,
कोई पीता है आबाद होकर,
तो कोई पीता है बर्बाद होकर
CopyShare on WhatsAppझूठ कहते हैं लोग कि,
शराब ग़मों को हल्का कर देती है,
मैंने अक्सर देखा है लोगों को
नशे में रोते हुए
CopyShare on WhatsAppपहले तुझ से प्यार करते थे
अब शराब से प्यार करते हैं.
CopyShare on WhatsAppलोग जिंदगी में आये और चले गए
लेकिन शराब ने कभी धोखा नहीं दिया.
CopyShare on WhatsAppज़बान कहने से रुक जाए
वही दिल का है अफ़साना,
ना पूछो मय-कशों से क्यों
छलक जाता है पैमाना !
CopyShare on WhatsAppके आज तो शराब ने भी अपना रंग दिखा दिया,
दो दुश्मनो को गले से लगवा, दोस्त बनवा दिया.
CopyShare on WhatsAppएक घूँट शराब की जो मैंने लबों से लगायी,
तो आया समझ कि इससे भी कड़वी है तेरी सच्चाई
CopyShare on WhatsAppपहले सागर से तो छलके मय-ए-गुलफाम का रंग,
सुबह के रंग में ढल जाएगा खुद शाम का रंग !
CopyShare on WhatsAppसोच था कुछ और, लेकिन हुआ कुछ और
इसीलिए ये भुलाने के लिए चले गए शराब की ओर
CopyShare on WhatsAppहर जाम पी गया मैं, ऐ दर्दे-जिंदगानी,
फिर भी बड़ा तरसा हूं, कुछ और शराब दे दो.
CopyShare on WhatsAppतौहीन न करना कभी कह कर कड़वा शराब को
किसी ग़मजदा से पूछियेगा इसमें कितनी मिठास है।
CopyShare on WhatsAppअब क्या बताऊँ तुझको कि,
तेरे जाने के बाद इस दिल पर क्या-क्या बीती है,
अब तो हम शराब को और शराब हमको पीती है
CopyShare on WhatsAppहमने होश संभाला तो संभाला तुमको
तुमने होश संभाला तो संभलने न दिया
CopyShare on WhatsAppहम तो बदनाम हुए कुछ इस कदर दोस्तों,
की पानी भी पियें तो लोग शराब कहते हैं।
CopyShare on WhatsAppइश्क़-ऐ-बेवफ़ाई ने डाल दी है आदत बुरी,
मैं भी शरीफ हुआ करता था इस ज़माने में,
पहले दिन शुरू करता था मस्जिद में नमाज़ से,
अब ढलती है शाम शराब के साथ मैखाने में..
CopyShare on WhatsAppमिले तो बिछड़े हुए मय-कदे के दर पे मिले,
न आज चाँद ही डूबे न आज रात ढले !
CopyShare on WhatsAppपी है शराब हर गली हर दुकान से,
एक दोस्ती सी हो गई है शराब के जाम से,
गुज़रे हैं हम इश्क़ में कुछ ऐसे मुकाम से,
की नफ़रत सी हो गई है मुहब्बत के नाम से.
CopyShare on WhatsAppमैं तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती,
मैं जवाब बनता अगर तू सवाल होती,
सब जानते है मैं नशा नही करता,
मगर मैं भी पी लेता अगर तू शराब होती.
CopyShare on WhatsAppजाम पे जाम पीने से क्या फायदा दोस्तों,
रात को पी हुयी शराब सुबह उतर जाएगी,
अरे पीना है तो दो बूंद बेवफा के पी के देख
सारी उमर नशे में गुज़र जाएगी ..
CopyShare on WhatsAppहमने पूछा कैसे, वो चले गए
हाथों मे जाम देकर
CopyShare on WhatsAppतुम्हारी आँख की तौहीन है जरा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है!
CopyShare on WhatsAppनशा मोहब्बत का हो या शराब का
होश दोनों में खो जाते है.
फर्क सिर्फ इतना है की शराब सुला देती है
और मोहब्बत रुला देती है
CopyShare on WhatsAppकुछ चेहरे लाजवाब लगते हैं,
मोहब्बत के लम्हें शराब लगते हैं,
दर्द इतने सहे मोहब्बत में मैंने,
कि अब होश के पल खराब लगते हैं.
CopyShare on WhatsAppअब तो ज़ाहिद भी ये कहता है बड़ी चूक हुई,
जाम में थी मय-ए-कौसर मुझे मालूम न था !
CopyShare on WhatsAppशराब के भी अपने ही रंग हैं साकी
कोई आबाद होकर पीता है,
तो कोई बर्बाद होकर पीता है।
CopyShare on WhatsAppटूटे हुए पैमाने बेकार सही लेकिन,
मय-ख़ाने से ऐ साक़ी बाहर तो न फेंका कर !
CopyShare on WhatsAppकभी देखेंगे ऐ जाम तुझे होठों से लगाकर,
तू मुझमें उतरता है कि मैं तुझमें उतरता हूँ।
CopyShare on WhatsAppजिगर की आग बुझे जिससे जल्द वो शय ला,
लगा के बर्फ़ में साक़ी,
सुराही-ए-मय ला।
CopyShare on WhatsAppकिसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का,
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है !
CopyShare on WhatsAppपीते थे शराब हम
उसने छुड़ाई अपनी कसम देकर,
महफ़िल में आये तो यारों ने
पिला दी उसकी कसम देकर।
CopyShare on WhatsAppथोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए,
थोड़ी खुशी मिली तो मिला के पी गए,
यूँ तो न थी हमें ये पीने की आदत,
शराब को तन्हा देख तरस खा के पी गए।
CopyShare on WhatsAppएक शराब की बोतल दबोच रखी है,
तुझे भुलाने की तरकीब सोच रखी है।
CopyShare on WhatsAppदेना वो उसका सागर व मय याद है निजाम
मुह फेर कर उधर को इधर को बढा के हाथ।
CopyShare on WhatsAppकौन आता है मयखाने में
पीने को ये शराब साकी,
हम तो तेरे हुस्न का
दीदार किया करते हैं।
CopyShare on WhatsAppइक धड़कता हुआ दिल,
एक छलकता हुआ जाम,
यही ले आते हैं मयनोश को मयख़ाने में…
CopyShare on WhatsAppकुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई,
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई।
CopyShare on WhatsAppमय भी है मीना भी है सागर भी है साकी नही
जी मे आता है लगा दें आग मयखाने को ह
CopyShare on WhatsAppमय बरसती है फ़ज़ाओं पे नशा तारी है,
मेरे साक़ी ने कहीं जाम उछाले होंगे !
CopyShare on WhatsAppन जख्म भरे,
न शराब सहारा हुई
न वो वापस लौटी न मोहब्बत दोबारा हुई।
CopyShare on WhatsAppमुझे ऐसी शराब बता ऐ दोस्त,
नशा-ए-इश्क उतार पाऊ मै।
CopyShare on WhatsAppमिले ग़म से अपने फ़ुर्सत तो सुनाऊँ वो फ़साना
कि टपक पड़े नज़र से मय-ए-इश्रत-ए-शबाना
CopyShare on WhatsAppगिरी मिली एक बोतल शराब की तो ऐसा लगा मुझे
जैसे बिखरा पड़ा था एक रात का सुकून किसी का।
CopyShare on WhatsAppज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो।
CopyShare on WhatsAppबहुत अमीर होती है ये शराब की बोतलें,
पैसा चाहे जो भी लग जाए सारे ग़म ख़रीद लेतीं हैं।
CopyShare on WhatsAppआये कुछ अब्र कुछ शराब आये,
उसके बाद आये तो अज़ाब आये,
बाम-इ-मिन्हा से महताब उतरे,
दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आये।
CopyShare on WhatsAppतुम्हें जो सोचें तो होता है कैफ़ सा तारी
तुम्हारा ज़िक्र भी जामे-शराब जैसा है
CopyShare on WhatsAppकहते हैं पीने वाले मर जाते हैं जवानी में,
हमने तो बुजुर्गों को जवान होते देखा है मैखाने में।
CopyShare on WhatsAppपीना काम आ गया..
लड़खड़ाये कदम तो गिरे उनकी बाँहों मे,
आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया।
CopyShare on WhatsAppइक सिर्फ़ हमीं मय को आँखों से पिलाते हैं
कहने को तो दुनिया में मयख़ाने हज़ारों हैं!
CopyShare on WhatsApp”शराब चीज़ ही ऐसी है ना छोड़ी जाये ये मेरे यार के जैसी है ना छोड़ी जाये”
CopyShare on WhatsApp”मत पूछ उसके मैखाने का पता ऐ साकी, उसके शहर का तो पानी भी नशा देता है..❗”
CopyShare on WhatsApp”मिलावट है तेरे इश्क में इत्र और शराब की, कभी हम महक जाते हैं कभी हम बहक जाते हैं..❗”
CopyShare on WhatsApp”तुम्हारी आँखों की तौहीन है, ज़रा सोचो तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है..❗”
CopyShare on WhatsApp”उनकी आंखें यह कहती रहती हैं, लोग नाहक शराब पीते हैं..❗”
CopyShare on WhatsApp”पीने से कर चुका था मैं तौबा मगर ‘जलील’ बादल का रंग देख के नीयत बदल गई..❗”
CopyShare on WhatsApp”तेरी आँखों के ये जो प्याले हैं, मेरी अंधेरी रातों के उजाले हैं, पीता हूँ जाम पर जाम तेरे नाम का, हम तो शराबी बे-शराब वाले हैं..❗”
CopyShare on WhatsApp”पूरा अब मेरा ये ख़्वाब हो जाये, लिख दू उनके दिल पे किताब हो जाये, ना मयकदे की जरूरत हो ना मयखाने की, अगर नज़र से पिला दो शराब हो जाये..❗”
CopyShare on WhatsApp”पूरा अब मेरा ये ख़्वाब हो जाये, लिख दू उनके दिल पे किताब हो जाये ना मयकदे की जरूरत हो ना मयखाने की, अगर नज़र से पिला दो शराब हो जाये..❗”
CopyShare on WhatsApp”तुम्हें जो सोचें तो होता है कैफ़-सा तारी, तुम्हारा ज़िक्र भी जामे-शराब जैसा है..❗”
CopyShare on WhatsApp”तुम्हारी नीम निगाही में न जाने क्या था शराब सामने आयी तो फैंक दी मैंने..❗”
CopyShare on WhatsApp”झूठ कहते हैं लोग कि, शराब ग़मों को हल्का कर देती है, मैंने अक्सर देखा है लोगों को नशे में रोते हुए..❗”
CopyShare on WhatsApp”शराब के भी अनेक रंग हैं साक़ी, कोई पीता है आबाद होकर, तो कोई पीता है बर्बाद होकर..❗”
CopyShare on WhatsApp”पहले तुझ से प्यार करते थे, अब शराब से प्यार करते हैं..❗”
CopyShare on WhatsApp”प्यार और शराब में छोटा सा फर्क हैं लेकिन ये फर्क बहुत बड़ा हैं प्यार दर्द देता हैं शराब दर्द भुला देता हैं..❗”
CopyShare on WhatsApp”लोग जिंदगी में आये और चले गए, लेकिन शराब ने कभी धोखा नहीं दिया..❗”
CopyShare on WhatsApp”पी के रात को हम उनको भुलाने लगे, शराब में गम को मिलाने लगे, दारू भी बेवफा निकली यारों, नशे में तो वो और भी याद आने लगे..❗”
CopyShare on WhatsApp”नशा मोहब्बत का हो या शराब का होश दोनों में खो जाते है. फर्क सिर्फ इतना है की शराब सुला देती है और मोहब्बत रुला देती है..❗”
CopyShare on WhatsApp”जाम में अफ़साने ढूंढते हैं हम लोग, लम्हों में ज़माने ढूंढते हैं हम लोग, तु ज़हर दे दे शराब कह कर सनम, अब तो मरने के बहाने ढूंढते हैं हम लोग..❗”
CopyShare on WhatsApp”आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’ जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए..❗”
CopyShare on WhatsApp”निगाह-ए-साक़ी से पैहम छलक रही है शराब, पिओ की पीने-पिलाने की रात आई है..❗”
CopyShare on WhatsApp”आज इतनी पिला साकी के मैकदा डुब जाए तैरती फिरे शराब में कश्ती फकीर की..❗”
CopyShare on WhatsApp”एसी शराब पी है कि इक दिन मेरा निशां, मस्जिद में खानकाह में ढूँढा करेंगे लोग..❗”
CopyShare on WhatsApp”तेरी निगाह थी साक़ी कि मैकदा था कोई मैं किस फ़िराक में शर्मिंदा-ए-शराब हुआ..❗”
CopyShare on WhatsApp”तबसरा कर रहे हैं दुनिया पर चदं बच्चे शराब खाने में..❗”
CopyShare on WhatsApp”मीर इन नीम बाज आखों में, सारी मस्ती शराब की सी है..❗”
CopyShare on WhatsApp”मेरे इत्तक़ा का बाइस, तु है मेरी नातवानी जो में तौबा तोड़ सकता, तो शराब ख़ार होता “अमीर मीनाई”..❗”
CopyShare on WhatsApp”बे पिए ही शराब से नफ़रत, ये जहालत नही तो और क्या है? ..❗”
CopyShare on WhatsApp”ग़ालिब छुटी शराब पर अब भी कभी-कभी, पीता हूँ रोज़ अब्र शबे-महताब में..❗”
CopyShare on WhatsApp”उस शख्स पर शराब का पीना हराम है, जो रहके मैक़दे में भी इन्सां न हो सका..❗”
CopyShare on WhatsApp”ज़ाहिद शराब पीने से , क़ाफ़िर हुआ मैं क्यों, क्या डेढ़ चुल्लू पानी में , ईमान बह गया?..❗”
CopyShare on WhatsApp”पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार, ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है ..❗”
CopyShare on WhatsApp”आये कुछ अब्र कुछ शराब आये, उसके बाद आये तो अज़ाब आये, बाम-इ-मिन्हा से महताब उतरे, दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आये..❗”
CopyShare on WhatsApp”गिरी मिली एक बोतल शराब की, तो ऐसा लगा मुझे, जैसे बिखरा पड़ा हो सुकून, किसी के एक रात का..❗”
CopyShare on WhatsApp”हर जाम पी गया मैं, ऐ दर्दे-जिंदगानी, फिर भी बड़ा तरसा हूं, कुछ और शराब दे दो..❗”
CopyShare on WhatsApp”बैठे हैं दिल में ये अरमां जगाये, के वो आज नजरों से अपनी पिलाये, मजा तो तब ही आये पीने का यारो, शराब हम पियें और नशा उनको हो जाए..❗”
CopyShare on WhatsApp”गम इस कदर मिला की घबरा के पी गये, खुशी थोड़ी सी मिली तो मिला के पी गये, यूँ तो ना थी जनम से पीने की आदत, शराब को तन्हा देखा तो तरस खा के पी गये..❗”
CopyShare on WhatsApp”जाम पे जाम पीने से क्या फायदा दोस्तों, रात को पी हुयी शराब सुबह उतर जाएगी, अरे पीना है तो दो बूंद बेवफा के पी के देख सारी उमर नशे में गुज़र जाएगी ..❗”
CopyShare on WhatsApp”हर किसी बात का जवाब नहीं होता हर जाम इश्क में ख़राब नहीं होता यूँ तो झूम लेते है नशे में रहने वाले मगर हर नशे का नाम शराब नहीं होता..❗”
CopyShare on WhatsApp”मैं तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती, मैं जवाब बनता अगर तू सवाल होती, सब जानते है मैं नशा नही करता, मगर मैं भी पी लेता अगर तू शराब होती..❗”
CopyShare on WhatsApp”मुझ तक कब उनकी बज़्म में आता था दौर-ए-जाम, साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में..❗”
CopyShare on WhatsApp”हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया..❗”
CopyShare on WhatsApp”रह गई जाम में अंगड़ायाँ लेके शराब, हम से माँगी न गई उन से पिलाई न गई ..❗”
CopyShare on WhatsApp”टूटे तेरी निगाह से अगर दिल हबाब का, पानी भी फिर पिएं तो मज़ा दे शराब का..❗”
CopyShare on WhatsApp”उन्हीं के हिस्से में आती है ये प्यास अक्सर, जो दूसरों को पिलाकर शराब पीते हैं..❗”
CopyShare on WhatsApp”शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूं, क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया..❗”
CopyShare on WhatsApp”बस एक इतनी वजह है मेरे न पीने की, शराब है वही साक़ी मगर गिलास नहीं..❗”
CopyShare on WhatsApp”दारु चढ के उतर जाती है पैसा चढ जाये तो उतरता नही, आप अपने नशे में जीते है, हम जरा सी शराब पीते है..❗” “गुलज़ार”
CopyShare on WhatsApp”शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब, उस में फिर मिलाई जाये थोड़ी सी शराब, होगा यूँ नशा जो तैयार वो प्यार हैं “नीरज”..❗”
CopyShare on WhatsApp”कभी मौक़ा लगे, कड़वे दो घूँट चख लेना, ज़रा तेरे लिये शराब छोड़ आए हैं..❗”
CopyShare on WhatsApp”गज़लें अब तक शराब पीती थीं, नीम का रस पिला रहे हैं हम..❗”
CopyShare on WhatsApp”आमाल मुझे अपने उस वक़्त नज़र आए, जिस वक़्त मेरा बेटा घर पी के शराब आया..❗”
CopyShare on WhatsApp”ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचल, नशा शराब में होता तो नाचती बोतल..❗”
CopyShare on WhatsApp”प्यार से भी गहरा हैं शराब का नशा इसे दर्द में पीने पर ही हैं, असली मज़ा..❗”
CopyShare on WhatsApp”थोड़ी सी पी शराब थोड़ी उछाल दी, कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी..❗”
CopyShare on WhatsApp”के आज तो शराब ने भी अपना रंग दिखा दिया, दो दुश्मनो को गले से लगवा, दोस्त बनवा दिया..❗”
CopyShare on WhatsApp”एक घूँट शराब की जो मैंने लबों से लगायी, तो आया समझ कि इससे भी कड़वी है तेरी सच्चाई..❗”
CopyShare on WhatsApp”यूँ तौहीन न किजिये शराब को कड़वा कह कर, जनाब ये ज़िन्दगी के तजुर्बे शराब से भी कड़वे होते हैं..❗”
CopyShare on WhatsApp”सोच था कुछ और, लेकिन हुआ कुछ और इसीलिए ये भुलाने के लिए चले गए शराब की ओर..❗”
CopyShare on WhatsApp”अब क्या बताऊँ तुझको कि, तेरे जाने के बाद इस दिल पर क्या-क्या बीती है, अब तो हम शराब को और शराब हमको पीती है..❗”
CopyShare on WhatsApp”मदहोश हम हरदम रहा करते हैं, और इल्ज़ाम शराब को दिया करते हैं, कसूर शराब का नहीं उनका है यारों, जिनका चेहरा हम हर जाम में तलाश किया करते हैं..❗”
CopyShare on WhatsApp”इश्क़-ऐ-बेवफ़ाई ने डाल दी है आदत बुरी, मैं भी शरीफ हुआ करता था इस ज़माने में, पहले दिन शुरू करता था मस्जिद में नमाज़ से, अब ढलती है शाम शराब के साथ मैखाने में..❗”
CopyShare on WhatsApp”पी है शराब हर गली हर दुकान से, एक दोस्ती सी हो गई है शराब के जाम से, गुज़रे हैं हम इश्क़ में कुछ ऐसे मुकाम से, की नफ़रत सी हो गई है मुहब्बत के नाम से..❗”
CopyShare on WhatsApp”शायरी वो नही लिखते हैं, जो शराब से नशा करते हैं, शायरी तो वो लिखते हैं, जो यादों से नशा करते हैं..❗”
CopyShare on WhatsApp”हमने पूछा कैसे, वो चले गए हाथों मे जाम देकर ..❗”
CopyShare on WhatsApp”कुछ चेहरे लाजवाब लगते हैं, मोहब्बत के लम्हें शराब लगते हैं, दर्द इतने सहे मोहब्बत में मैंने, कि अब होश के पल खराब लगते हैं..❗”
CopyShare on WhatsApp”मुझे पीने का शौख नहीं पीता हूँ ग़म भुलाने को…❗”
CopyShare on WhatsAppMat Punchh Usake Maikhane Ka Pata E Saki, Usake Shahar Ka Pani Bhi Nasha Deta Hai.
CopyShare on WhatsAppMilawat Hai Tere Ishk ME Itr Aur Sharab Ki, Kabhi Ham Mahak Jate Hai, Kabhi Ham Bahak Jaate Hai.
CopyShare on WhatsAppTumhari Ankhon Ki Tauhin Hai, Jara Socho, Tumhaara Chahane Wala Sharaab Peeta Ho.
CopyShare on WhatsAppUnaki Ankhe Yah Lahati Rahati Hai, Log Nahak Sharab Peete Hai.
CopyShare on WhatsAppPeene Se Kar Chuka Tha Main Tauba Magar “Zalil” Baadal Ka Rang Dekh Ke Niyat Badal Gayi.
CopyShare on WhatsAppTeri ANkhon Ke Ye Jo Pyaale hai, Meri Andheri Raato Ke Ujaale Hai. Peeta Hun Jaam Par Jaam Tere Naam Ka, Ham To Sharabi Be-Sharab Wale.
CopyShare on WhatsAppPura Ab Mera Ye Khwaab Ho Jaaye, Likh Du Unake Dil Pe Kitab Ho Jaaye. Na Maykade Ki Jarurat Ho Naa Maykhane Ki, Agar Nazar Se Peela Do Sharab Ho Jaaye.
CopyShare on WhatsAppTumhe Jo Soche To Hota Hai Kaif-Sa Taari, Tumhaara Zikr Bhi Jaame-Sharab Jaisa Hai.
CopyShare on WhatsApp Tumhari Neem Nigahi Me Na Jane Kya Tha, Sharab Samane Aayi To Faik Di Maine.
CopyShare on WhatsAppJhuth Kahate Hai Log Ki, Sharab Gamo Ko Halka Kar Deti Hai Maine Aksar Dekha Hain Logo Ko Nashe Me Rote Huye.
CopyShare on WhatsAppPyar Aur Sharab Me Chhota Sa Fark Hai, Lekin Ye Fark Bahut Bada Hai. Pyaar Dard Deta Hai, Sharab Dard Bhula Deta Hai.
CopyShare on WhatsAppLog Zindagi Me Aaye Aur Chale Gaye, Lekin Sharab Ne Kabhi Dhokha Nahi Diya.
CopyShare on WhatsAppPee Ke Raat Ko Ham Unako Bhulane Lage, Sharab Me Gam Ko Milane Lage. Daru Bewafa Nikali Yaaro, Nashe Me To Wo Aur Bhi Yaad Aane Lage.
CopyShare on WhatsAppNasha Mohabbat Ka Ho Ya Sharab Ka Hosh Dono Me Kho Jaate Hai. Fark Sirf Itana Hai Ki Sharab Sula Deti Hai, Aur Muhabbat Rula Deti HAI.
CopyShare on WhatsAppJaam Me Afasaane Dhundhate Hai Ham Log, Lamho Me Zamane Dhundhate Hain Ham Log. Tu Zahar De-De Sharab Kah Kar Sanam, Ab To Marane Ke Bahane Dhundhate Ham Log.
CopyShare on WhatsAppAaye The Hansate Khelate May-Khane Me “Firak” Jab Pee Chuke Sharab To Sanjida Ho Gaye.
CopyShare on WhatsAppNigah-E-Saki Se Paiham Chhalak Rahi Hai Sharab, Peeo Ki Peene-Peelane Ki Raat Aayi Hai.
CopyShare on WhatsAppAaj Itani Pila Saki Ke Maikada Dub Jaye, Tairati Fire Sharab Me Kashti Fakir Ki.
CopyShare on WhatsAppEsi Sharab Pee Hai Ki Ek Din Mera Nishan, Masjid Me Khankaah Me Dhundha Karenge Log.
CopyShare on WhatsAppTeri Nigah Thi Saki Ki Maikada Tha Koi, Mai Kisi Firaak Me Sharminda-E-Sharab Hua.
CopyShare on WhatsAppTabsara Kar Rahe Duniya Par, Chand Bachche Sharab Khane Me.
CopyShare on WhatsAppMeer In Neem Baaj Ankhon Me, Sari Masti Sharab Ki Si Hai.
CopyShare on WhatsAppMere Ittaka Ka Bayis, Tu Hai Meri Natwani, Jo Main Tauba Tod Sakata, To Sharab Khar Hota.
CopyShare on WhatsAppBe Peeye Hi Sharab Se Nafarat, Ye Jahaalat Nahi To Aur Kya Hai? “साहिर लुधियानवी”.
CopyShare on WhatsAppGalib Chhuti Sharab Par Ab Bhi Kabhi-Kabhi Peeta Hun Roz Abr-Mahataab Me.
CopyShare on WhatsAppUs Shakhs Par Sharab Ka Peena Haraam Hai Jo Rahake Maikade Me Insan N hO Saka.
CopyShare on WhatsAppZahid Sharab Peene Se, Kafir Hua Main Kyu? Kya Dedh Chullu Pani ME, Imaan Bah gaya?
CopyShare on WhatsAppPiyu Sharab Agar Khum Bhi Dekh Lun Do Char Ye Shisha-O-Kadah-O-Kuza-O-Subu Kya Hai. “ग़ालिब”
CopyShare on WhatsAppAaye Kuchh Abr, Kuchh Sharab Aaye, Usake Baad Aaye To Azaab Aaye, Baam-E-Minha Se Mahataab Utare, Dast-E-Saki Me Aaftaab Aaye.
CopyShare on WhatsAppGiri Mili Ek Botal Sharab Ki, To Esa Laga Mujhe Jaise Bikhara Pada Ho Sukun, Kisi Ke Ek Raat Ka.
CopyShare on WhatsAppHar Jaam Pee Gaya Main, E Darde-Zindagani, Fir Bhi Tarasa Hun Kuchh Aur Sharab De Do.
CopyShare on WhatsAppBaithe Hai Dil Me Ye Araman Jagaaye Ke Wo Aaj Nazaro Se Apani Pilaye. Maza To Tab Hi Aaye Peene Ka Yaaro, Sharab Ham Peeye Aur Nasha Unako Ho Jaaye.
CopyShare on WhatsAppGam Is Kadar Mila Ki Ghabara Ke Pee Gaye, Khushi Thodi Si Mili To Mila Ke Pee Gaye, Yun To Na Thi Janam Se Peene Ki Aadat Sharab Ko Tanha Dekha To Taras Kha Ke Pee Gaye.
CopyShare on WhatsAppJaam Pe Jaam Peene Se Kya Fayada Dosto, Raat Ko Pee huyi Sharab Subah Utar Jaayegi, Are Peena Hai To Do Bund Bewafa Ke Pee Ke Dekh, Sari Umar Nashe Me Guzar Jaayegi.
CopyShare on WhatsAppHar Kisi Baat Ka Jawaab Nahi Hota, Har Jaam Ishk Me Kharab Nahi Hota Yun To Jhum Lete Hain Nashe Me Rahane Wale Magar Har Nashe Ka Naam Sharab Nahi Hota.
CopyShare on WhatsAppMain Tod Leta Agar Tu Gulab Hoti, Main Jawaab Banata Tu Sawaal Hoti. Sab Jaanate Hain Main Nasha Nahi Karata, Magar Main Bhi Pee Leta Agar Tu Sharaab Hoti.
CopyShare on WhatsAppTute Teri Nigaho Se Agar Dil Habaab Ka, Pani Bhi Fir Peeye To Maza De Sharab Ka.
CopyShare on WhatsAppUnhi Ke Hisse Me Aati Hai Ye Pyaas Aksar, Jo Dusaro Ko Peelakar Sharab Peete Hai.
CopyShare on WhatsAppSharab Peene Se Kafir Hua Mai Kyu, Kya Dedh Chullu Pani Me Imaan Bah Gaya.
CopyShare on WhatsAppBas Ek Itani Wazah Hai Mere Na Peene Ki, Sharab Hai Wahi Saki Magar Gilas Nahi.
CopyShare on WhatsAppDaru Chadh Ke Utar Jaati Hai, Paisa Chadh Jaye To Utarata Nahi. Aap Apane Nashe ME Jeete Hai, hAM jara Si Sharab Peete HAI. “गुलज़ार”.
CopyShare on WhatsAppShokhiyo Me Ghola Jaaye Phoolon Ka Shabab, Us Me Fir Milayi Jaaye Thodi Si Sharab Hoga Yun Nasha Jo Taiyaar Wo Pyaar Hai। “नीरज”
CopyShare on WhatsAppKabhi Mauka Lage, Ladawe Do Ghunt Chakh Lena, Jara Tere Liye Sharab Chhod Aaye Hai.
CopyShare on WhatsAppGhazal Ab Tak Sharab Peeti Thi, Neem Ka Ras Peela Rahe Hai Ham.
CopyShare on WhatsAppAamaal Mujhe Apane Us Waqt Nazar Aaye, Jis Waqt Mera Beta Ghar Pee Ke Sharab Aaya.
CopyShare on WhatsAppKhud Apani Masti Hai Jis Ne Machayi Hai Halachal Nasha Sharab Me Hota To Nachati Botal.
CopyShare on WhatsAppPyaar Se Bhi Gahara Hai Sharab Ka Nasha Ise Dard Me Peene par Hi Hai Asali Maza.
CopyShare on WhatsAppThodi Si Pee Sharab Thodi Uchhal Di, Kuchh Is Tarah Se Hamane Jawaani Nikal Di.
CopyShare on WhatsAppKe Aaj To Sharab Ne Bhi Apana Rang Dikha Diya Do Dushamanon Ko Gale Se Lagawa, Dost Bana Diya.
CopyShare on WhatsAppEk Ghut Sharab Ki Jo Maine Labo Se Lgayi, To Aaya Samajh Ki Isase Bhi Kadvi Hai Teri Sachchyi.
CopyShare on WhatsAppYun Tauhin Naa Kijiye Sharab Ko Kadawa Kah Kar, Janaab Ye Zindagi Ke Tajurbe, Sharab Se Bhi Kaduye Hote Hai.
CopyShare on WhatsAppSoch Tha Kuchh Aur Lekin Hua Kuchh Aur Isliye Ye Bhulane Ke Liye Chale Gaye Sharab Ki Aor.
CopyShare on WhatsAppAb Kya Batau Tujhako Ki, Tere Jaane Ke Baad Is Dil Par Kya-Kya Biti, Ab To Ham Sharab Ko Aur Sharab Hamako Peeti Hai.
CopyShare on WhatsAppMadahosh Ham Hardam Raha Karate Hai, Aur Ilzaam Sharab Ko Diya Karate Hai. Kasur Sharab Ka Nahi Unaka Hai Yaaro, Jinaka Chehara Ham Har Jaam Me Talash kiya Karate Hai.
CopyShare on WhatsAppIshk-E-Bewafayi Ne Daal Di Hai Aadat Buri, Main Bhi Sharif Hua Karata Tha, Is Zamane Me. Pahale Din Shuru Karata Tha Masjid Me Namaz Se, Ab Dhalati Hai Sham Sharab Ke Sath Maikhane Me.
CopyShare on WhatsAppPee Hai Sharab Har Gali Har Dukhan Se, Ek Dosti Si Ho Gayi Hai Sharab Ke Jaam Se, Guzare Hai Ham Ishk Me Kuchh Yese Mukaam Se, Ki Nafarat Si Ho Gayi Hain, Muhabbat Ke Naam Se.
CopyShare on WhatsAppShayari Wo Nahi Likhate HAI, Jo Sharab Se Nasha Karate Hai. Shayari To Wo Likhate Hai, Jo Yaado Se Nasha Karate Hain.
CopyShare on WhatsAppHamne Punchha Kaise Wo Chale Gaye Hatho Me Jaam Dekar.
CopyShare on WhatsAppKuchh Chehare Lazawaab Lagate Hai, Mohabbat ke Lamhe Sharab Lagate Hai, Dard Itane Sahe Mohabbat Me Maine Ki Ab Hosh Ke Pal Kharab Lagte Hai.
CopyShare on WhatsAppनिष्कर्ष
इस ब्लॉग पोस्ट में हमने शराब छोड़ने के लिए कुछ शायरियों को शेयर किया है। शराब का नशा एक बुरी आदत हो सकती है जो आपकी ज़िन्दगी को नुकसान पहुँचाती है। हमें उम्मीद है कि आपको इस ब्लॉग पोस्ट से कुछ न कुछ सीखने को मिला होगा और आप इससे प्रेरणा लेकर अपनी ज़िन्दगी को शराब के नशे से दूर रखने का प्रयास करेंगे।
शायद आपने इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखा हो, या फिर आपको अपनी आदत से छुटकारा पाने के लिए प्रेरित हुए हों। हम आशा करते हैं कि यह ब्लॉग पोस्ट आपके जीवन में अच्छे बदलाव लाने में सहायता करेगा।
इसी तरह की नयी-नयी जानकारी और मजेदार शायरी के साथ आपके लिए हमेशा कुछ नया लाते रहेंगे। आप इस ब्लॉग पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ साझा करें ताकि वे भी इससे लाभान्वित हो सकें। आप हमें अपने विचार और सुझाव देने के लिए कमेंट बॉक्स में अपनी राय दे सकते हैं।
Last updated: सितम्बर 30, 2024
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