स्त्री खतना क्या है?

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स्त्री खतना एक ऐसा विषय है जिसपर बहुत कम लोगों को जानकारी है। यह एक ऐसी हानिकारक प्रथा है जो कुछ समुदायों में आज भी प्रचलित है। इस लेख में हम स्त्री खतना के बारे में विस्तार से जानेंगे – स्त्री खतना क्या है, इसके प्रकार, इसके कारण और यह किन तरह से हानिकारक है। आशा है इस लेख से आपको स्त्री खतने के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी और आप इसके खतरों के प्रति जागरूक होंगे। आइए शुरुआत करते हैं।

स्त्री खतना क्या है?

स्त्री खतना एक ऐसी प्रथा है जिसमें महिलाओं के जननांगों का आंशिक या पूर्ण रूप से कटाव किया जाता है। यह एक प्राचीन परंपरा है जो कुछ संस्कृतियों में आज भी प्रचलित है।

स्त्री खतने के मुख्य प्रकार

स्त्री खतने के मुख्य प्रकार इस प्रकार हैं:

1. क्लिटोरल खतना

इसमें क्लिटोरिस यानि कि योनि के बाहरी हिस्से को आंशिक या पूर्ण रूप से काट दिया जाता है। यह सबसे आम प्रकार का खतना है।

2. लेबियाप्लास्टी

इसमें योनि के आकार में परिवर्तन किया जाता है ताकि उसे “आदर्श” आकार दिया जा सके।

3. इन्फिबुलेशन

इसमें क्लिटोरिस के आंतरिक भाग को बंद कर दिया जाता है, जिससे केवल एक छोटा छिद्र बचता है।

स्त्री खतने के कारण

कुछ संस्कृतियों में स्त्री खतना परंपरागत रूप से किया जाता रहा है। इसके पीछे मुख्य रूप से निम्न कारण हैं:

  • सामाजिक-सांस्कृतिक कारण – कुछ समुदायों में यह एक परंपरागत अनुष्ठान के रूप में स्वीकार किया जाता है। इसे लड़कियों के लिए एक आवश्यक कदम माना जाता है।
  • धार्मिक कारण – कुछ धर्मों में इसे एक धार्मिक आवश्यकता माना जाता है।
  • यौन नियंत्रण – कुछ समुदायों में माना जाता है कि यह महिलाओं की यौन इच्छा पर नियंत्रण रखने में मदद करता है।
  • स्वच्छता – कुछ लोग इसे स्वच्छता के लिए जरूरी मानते हैं।
  • परिवार की परंपरा – कुछ परिवारों में यह पीढ़ी दर पीढ़ी की परंपरा के रूप में चली आ रही है।

स्त्री खतने के प्रभाव

स्त्री खतना कई तरह से हानिकारक हो सकता है:

  • शारीरिक पीड़ा – ऑपरेशन के दौरान और बाद में भी भयानक शारीरिक पीड़ा होती है।
  • संक्रमण – खराब स्वच्छता के कारण संक्रमण होने का खतरा रहता है।
  • रक्तस्त्राव – अत्यधिक रक्तस्त्राव जोकि जानलेवा भी हो सकता है।
  • गर्भपात – बाद में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
  • जटिल प्रसव – प्रसव के दौरान जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • मनोवैज्ञानिक प्रभाव – तनाव, अवसाद और चिंता जैसे मानसिक समस्याएं।
  • यौन समस्याएं – यौन संतुष्टि में कमी और दर्द की समस्या।

इसलिए, स्त्री खतना एक अत्यंत हानिकारक प्रथा है जिसे बंद कर देना चाहिए। इसके खतरनाक प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।

क्या स्त्री खतना से हो सकती है मौत?

हां, स्त्री खतना कराने से मौत भी हो सकती है। खतना के दौरान अत्यधिक रक्तस्त्राव होने से या फिर ऑपरेशन के बाद संक्रमण हो जाने से मृत्यु का खतरा बना रहता है।

खराब स्वच्छता की वजह से संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ पर पर्याप्त चिकित्सीय सुविधाएँ नहीं होती हैं, वहाँ खतने के कारण मौत का जोखिम रहता है।

इसलिए स्त्री खतना एक अत्यंत हानिकारक प्रथा है जिसे तुरंत बंद कर देना चाहिए।

सम्बंधित प्रश्न और उत्तर

स्त्री खतना क्या होता है?


स्त्री खतना एक ऐसी प्रथा है जिसमें महिलाओं के जननांगों का आंशिक या पूर्ण रूप से कटाव किया जाता है। यह एक प्राचीन परंपरा है जो कुछ संस्कृतियों में आज भी प्रचलित है।

स्त्री खतने के प्रकार क्या हैं?


स्त्री खतने के तीन मुख्य प्रकार हैं – क्लिटोरल खतना, लेबियाप्लास्टी और इन्फिबुलेशन। क्लिटोरल खतना सबसे आम है जिसमें योनि के बाहरी हिस्से को काटा जाता है।

स्त्री खतना क्यों किया जाता है?


स्त्री खतना मुख्य रूप से सामाजिक-सांस्कृतिक कारणों, धार्मिक मान्यताओं, यौन नियंत्रण, स्वच्छता और परिवार की परंपरा के कारण किया जाता है।

स्त्री खतने के दुष्प्रभाव क्या हैं?


स्त्री खतने के कई दुष्प्रभाव हैं जैसे – शारीरिक पीड़ा, संक्रमण, रक्तस्त्राव, गर्भपात, जटिल प्रसव, मनोवैज्ञानिक समस्याएं और यौन समस्याएं।

स्त्री खतना कैसे रोका जा सकता है?


स्त्री खतना रोकने के लिए सबसे ज़रूरी है लोगों को इसके बारे में जागरूक करना। सामाजिक कार्यकर्ताओं और सरकार को मिलकर लोगों को शिक्षित करना चाहिए।

स्त्री खतना पर रोक कैसे लगाई जा सकती है?


स्त्री खतना पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून बनाने और उनका सख्ती से पालन करवाने की ज़रूरत है। साथ ही प्रभावित समुदायों में जागरूकता अभियान चलाकर इस परंपरा को समाप्त किया जा सकता है।

स्त्री खतना पीड़ित को किस प्रकार सहायता मिल सकती है?


स्त्री खतना के पीड़ितों को चिकित्सकीय, मनोवैज्ञानिक और कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए। सरकार और गैर-सरकारी संगठन पीड़ितों की मदद कर सकते हैं।

स्त्री खतने के प्रभावों से कैसे निपटा जाए?


स्त्री खतने के प्रभावों से निपटने के लिए चिकित्सकीय उपचार, मनोचिकित्सा और समर्थन समूहों की मदद ली जा सकती है। पीड़ितों को अपने अनुभव साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

स्त्री खतना पर शोध कार्य क्यों जरूरी है?


स्त्री खतना पर शोध कार्य इसके कारणों और प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने के लिए ज़रूरी है। शोध से इसे रोकने के तरीके खोजने में मदद मिल सकती है। साथ ही, प्रभावित महिलाओं की मदद करने के लिए भी शोध डेटा की ज़रूरत होती है।

कब किया जाता है खतना?

स्त्री खतना आमतौर पर बचपन में ही कर दिया जाता है। अलग-अलग संस्कृतियों में इसकी उम्र अलग-अलग हो सकती है लेकिन अक्सर यह शिशु अवस्था से लेकर किशोरावस्था तक के बीच किया जाता है।

कुछ समुदायों में तो नवजात बच्चियों पर ही खतना किया जाता है। वहीं कुछ में बालिग होने से पहले इसे एक रस्म के रूप में संपन्न किया जाता है। लेकिन यह एक बार हो जाने के बाद इसके दुष्प्रभावों से जीवन भर जूझना पड़ता है।


कुरान में पुरुषों या महिलाओं के खतने का जिक्र नहीं: मुस्लिम स्कॉलर

यह सही है कि कुरान में न तो पुरुषों और न ही महिलाओं के खतने का कहीं भी उल्लेख नहीं है। कुछ मुस्लिम स्कॉलर्स और विद्वानों का मानना है कि खतना एक सांस्कृतिक प्रथा है, धार्मिक आवश्यकता नहीं।

खतना की प्रथा इस्लाम से पहले से ही कुछ समुदायों में प्रचलित थी और बाद में इस्लाम में समाहित हो गई। लेकिन कुरान या हदीस में इसे अनिवार्य नहीं बताया गया। अतः यह एक सांस्कृतिक परंपरा है, धार्मिक आवश्यकता नहीं।

निष्कर्ष

निष्कर्ष रूप में, हम यह कह सकते हैं कि स्त्री खतना एक अत्यंत हानिकारक परंपरा है जिसे समाप्त कर देना चाहिए। इससे महिलाओं को भयानक शारीरिक और मानसिक पीड़ा होती है जिसके दुष्प्रभाव उनके पूरे जीवन भर बने रहते हैं।

हमें, महिलाओं को, अपनी आवाज़ उठानी चाहिए और इस बर्बर प्रथा के खिलाफ खड़ी होना चाहिए। हमें अपने समुदायों में जागरूकता फैलाने की ज़रूरत है ताकि लोग इसके नुकसान को समझ सकें। आइए, मिलकर हम एक ऐसा समाज बनाएँ जहाँ स्त्री खतना जैसी क्रूर प्रथाओं के लिए कोई जगह न हो।

Last updated: अक्टूबर 13, 2023

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